मित्रो , कविता पढना प्रायः दुरूह कार्य है ...यह तब और कठिन हो जाता है ..जब कविता जलेबी हो हो जाती है , मेरा मतलब है , उसका अर्थ केवल ही कवि महोदय ही
explain कर सकते है ...कई मित्रो ने चाटिंग के दौरान मुझे बताया कि आप सरल रूप में लिखते है और कविता का भाव मन में घुस ... जाती है ।, आज अभी इसी के ऊपर एक कविता ....धन्यवाद
मेरी कविता कोई जलेबी नहीं है ॥
रहती है गरीबों के घर
किसानों की सुनती है यह
ये कोई हवेली नहीं है
मेरी कविता कोई जलेबी नहीं है ॥
निकलता है ,सीधा सा अर्थ
इसके भाव है , सार्थक
ये कोई पहेली नहीं है
मेरी कविता कोई जलेबी नहीं है ॥
अर्थ, पंडित तो समझेगे ही
समझ लेगें इसे अज्ञानी भी
ये रेखाओ से बनी हथेली नहीं है
मेरी कविता कोई जलेबी नहीं है ॥
हैं ये सुवासित फूल के बगीचे
जिसे मेरी कलम रोज सींचे
ये कोई झाडी , कटीली नहीं है
मेरी कविता कोई जलेबी नहीं है ॥
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