ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
तू उनके लिए बरस
जिनके कुएं
सरकारी पन्नों पर बने हैं //
ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
फाड़ दे
जनता के कान पर जमे
भाषणों और अश्वाश्नों की काई को //
ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
इतना बरस
टूट जाए तटबंध नदियों की
खोल दे पोल
इन्जिनीर और ठ्केदार के मिलीभगत की //
घनघोर बरस
तू उनके लिए बरस
जिनके कुएं
सरकारी पन्नों पर बने हैं //
ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
फाड़ दे
जनता के कान पर जमे
भाषणों और अश्वाश्नों की काई को //
ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
इतना बरस
टूट जाए तटबंध नदियों की
खोल दे पोल
इन्जिनीर और ठ्केदार के मिलीभगत की //