न तुमने कभी
मेरे गेसुओं को हाथों से हिलाया है
न कभी
मेरे नर्म गुलाबी लवों को सहलाया है
मुझसे कभी नहीं कहा
झरने सी गुनगुनाती हो
गोरी इंतनी कि दूध शरमा जाए
आदि-आदि
जो लड़के कहते है
लड़कियों से अक्सर
समीप पाने की चाह में //
तुम तो बस
हाथों में हाथ लेकर
मेरी आँखों में देखते हों
पक्का यकीन हो चूका है मुझे
शादी पूर्व के बंधनों को
तुम नहीं तोड़ने वाले
दिल जीत लिया तुमने मेरा
अपने सभ्य व्यवहारों से //
अब देखना है शादी के बाद
जब पंडित जी और माता-पिता
मेरा हाथ रख देंगे /तुम्हारे हाथ पर
तो देखते है
कौन पहल करता है हाथ हटाने की //