![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhwk1G_2eEIwsIGfc_DlC8QmVeS-GXOdwA7NVUJcPoVrZ_dwG5v6-edaTvTRsrWXuUlzXgnls9xiVitoQ5b9H7OhgjV5U-nSqZJTItrMml4A46mIwocjGXTiG3w5Vbj4tmIUivsRzFwM_s/s400/roli.jpeg)
जयेष्ट की गर्मी
और आग के दहकते शोलों को
महसूस किया है मैंने //
अब मैं ...
तुम्हारे दहकते सुर्ख अधरों
निस्वच्छ श्वासों
उन्नत,सुकोमल,मस्त उरोजों
और तुम्हारे तपतपाते तन की गर्मी में
झुलसना चाहता हूँ //
मुझे पता है ....
ऐसा करने से मेरे संताप
छू-मंतर हो जायेंगें
क्या ऐसा होगा प्रिय !!