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रविवार, 29 दिसंबर 2013

आज सन्डे है

आज सन्डे है दोस्तों !
सड़क पर ट्रैफिक  पुलिस नहीं है
अब बाइक लहरियादार चलाओ
 या फिर शॉर्टकर्ट मारो दो
बिना गोलम्बर घूमे ....//

अरे याद आया ...
आज तो स्कूलों के गेट पर सेकुरिटी नहीं है
कुछ पोस्टर साट देते है बोन्ड्री  वाल पर //
 
सुबह सुबह बिजली के पोल से
टोका हटाने  कि ज़रूरत भी नहीं .
सब कर्मचारी मना रहे होंगे छुट्टियांं //

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

रफ़्तार

रोज टूट रहे है  रफ़्तार के रिकॉर्ड
रोज बन रहे है रफ़्तार के रिकॉर्ड
कोयला से बुलेट ट्रैन बन गया ..
पोस्ट कार्ड से एस एम् एस
नच बलिये ने मात दी
कत्थक /मोहिनी आटम/ कुचिपुड़ी को
शास्त्रीय संगीत मात खा गया
तमंचे में डिस्को से ...

रफ़्तार घटी तो सिर्फ...
प्यार /रिश्ते और विश्वास के पेड़ की //

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

शमशान

लकड़ियों के ढेर पर पड़ा  है
पञ्च महाभूतों का समुच्यय
कुछ ने कहा था ..
विधुत शवदाह गृह में चलते है
मगर बूढ़े लोगों ने
फटकार लगाईं./धर्म की दुहाई देकर
अन्य वन कट लकड़ियों के बीच
थोड़ी सी ही सही
आम,बेल और चन्दन की लकड़ी खरीदी गई //

लकड़ियों का चिता बनाना सबको नहीं आता
सुराख़ देना ज़रूरी है
हवा के आने-जाने के लिए
मगर कुछ इस काम में भी माहिर होते है

डॉम हैसियत भाप लेता है
रकम लेने के बाद ही होती है मुखाग्नि
दो घंटे लगेंगे स्वाहा होने में
राम-राम सत्य है
के लगते हैं नारे
और चर्चा होती है .उमके अच्छे-कामों की
और चर्चा होती है .
ये धन-संपत्ति किस काम की //

आग में सब स्वाहा हो चूका है
लोगों ने स्नान किया
घाट की दूकान पर ही
छककर खाया ..पूड़ी-जलेबी और सब्जी
और फिर रम गए...
वही पुराने झूठ/फरेब /लालच के झंझावतों में 

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

ये साला रुपया-पैसा

भव्य  मकान है
गर्लफ्रेण्ड है
कार है
वीयर है
वाइन है
रेव पार्टी है 
तलाक है
हत्या है 
बहुत सारे व्यसन है 
उनके पास ..
समाज  के लोग उन्हें प्रतिस्थित कहते है ! 

टूटी खपरैल मकान है 
मेहनत है 
मजदूरी है 
प्यार है 
चोर कुछ ले जाए
डर नहीं 
सुबह होगी
काम में दोनों निकल पड़ेंगे !

आओ दोस्तों
रूपये के पीछे दौड़ लगाते है //

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

अगर रूपये पेड़ों में फलते

काश!
अगर नोट यानि रूपये
पेड़ों में फलते
तब
जब  पेड़ों में पानी
 मीठी बोली की देनी  होती //

काश !
पेड़ परोपकार की भाषा समझते
और
परोपकार  करने वालों के
पेड़ में ही रूपये फलते //

बुधवार, 20 नवंबर 2013

उठो, और फिर चल पड़ो

पत्थर हूँ मैं 
झरने की वेगमयी धारा का विरोधी
टूट जाउंगा /बिखर जाऊँगा 
यु ही घुटने नहीं टेकूंगा //

वृक्ष    हूँ
तूफानों   को   रोकता  हूँ 
मेरे फल-फूल गिर जाते है 
शाखाएं टूट जाती है 
कभ-कभी तो मैं स्वम् उखड जाता हूँ //

विपत्तियों के सामने घुटने टेकना
ज़िंदगी से हार जाना // 

सोमवार, 11 नवंबर 2013

महताब को रोना आये

आलोकित हो पथ
जब पग बढे तुम्हारा
प्रचोदित हो जलद
जब अधर हिले तुम्हारा//

महताब को रोना आये
जब घूँघट उड़े तुम्हारा
सिंधु गरजे  बार-बार
जब हिले मेखला तेरा //

प्रचोदित .. आवेशित //माहताब -- चाँद 

रविवार, 10 नवंबर 2013

दर्द

दर्द की शुरुयात
पेट दर्द से हुई थी
आँख.नाक,कान होते हुए यह दर्द
पुरे बदन में फ़ैल गया था //

ज़वानी में कदम रखा ही था  कि
भाई-बंधुओं के बीच
बना स्नेह-सौहार्द का महल टूटने लगा...
पहली बार अनुभव हुआ..
रिश्तों के टूटने का दर्द

बेरहम आफिस के कर्मचारियों ने
दौड़ाते-दौड़ाते न जाने कितने दर्द दिए

फिर साथ पढ़ने -वाली पर दिल आया
पता नहीं दिल कैसा होता है
टूट कर आवाज तो नहीं करता
पर दे जाता है
एक लाईलाज  दर्द //

शनिवार, 9 नवंबर 2013

संकल्प

अँधेरे को उजाले में बदल दूँ , ऐसा वीर बनूंगा
बिना लक्ष्य भेदे न लौटू ,  मैं ऐसा तीर बनूंगा//

हर घर के दीप में जल जाऊं , ऐसा रुई  बनूंगा
दुश्मन को अंदर तक छेद दूँ , मैं ऐसा सुई बनूंगा//

भ्रस्ट्राचार के गंध को  मिटा दूँ , मैं ऐसा सुमन बनूंगा
बहा दूँ अमन का पैगाम,   मैं ऐसा पवन  बनूंगा//

मंगलवार, 5 नवंबर 2013

पडोसी

मेरे पड़ोसी ने
अपने घर की चारदीवारी ऊँची कर ली है ..
नहीं-नहीं
कोई झगड़ा नहीं हुआ उनसे
शायद कुछ बात ऐसी है
जो हमें दिखाना नहीं चाहते //

कल छापा पड़ा था इनके घर
शक हो सकता हैं उन्हें
शायद मैंने ही इत्तिला दी होगी
विजिलेंस को //

दिमाग पर जोर डालता हूँ ..
शुरू-शुरू में कुछ झगड़ा हुआ था
नाले की पानी निकालने को लेकर
और इस बात पर भी
क्यों कर दिया
उन्होंने लाउडस्पीकर का मुंह मेरे घर की तरफ //


सच कहूं ..
पहले पडोसी रिश्तेदार से बढ़ कर लगते थे
मगर
सबसे नजदीकी दुश्मन //

आटे की गुथाई और सीमेंट कंक्रीट

मुझे कंक्रीट बनाना था
कंक्रीट -- बालू ,सीमेंट और बजरी का मिक्सचर
दिक्कत थी पानी की मात्रा का आकलन
ज्यादा पानी- कंक्रीट की शक्ति  कम
कम  पानी -तो भी कंक्रीट की शक्ति कम //

तभी मुझे याद आया ...
माँ की आटा गूथने की कला
थोडा थोडा  पानी .
.धीरे-धीरे डालना और फिर गुथना ..
मैंने भी वही   किया
धीरे-धीरे पानी मिलाते गया
अंत में अच्छी गुणवत्ता वाला कंक्रीट प्राप्त हुआ..//

अगर खुली हो मन की खिड़किया
तो काम से
सीखता है आदमी //

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

एक पुल का आत्महत्या

क्यों खामोश है
ये पुल
लोगों के डर
सोखकर चुप है शायद

चुप रहने वाला पुल ..
लोगों को गिरने से बचाता है
गंतव्य तक पहुंचता है
दो घरों को जोड़ता है
दो संस्कृतियों को जोड़ता है

जिस दिन
 मीठे-मीठे बोलों का पुल
गिर जाएगा
उस दिन बहुत शोर होगा
और पुल आत्महत्या कर लेगा //



बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

निशि .

निशि ... यही नाम था उस लड़की का.जिसने मुझे अपनी ओर आकर्षित  किया था बचपन के उन बेबाक अल्हड  और अलमस्त क्षणों  में . हमलोग एक साथ गाँव के छोटे से स्कुल में पढ़ते थे . मुझे याद है उन दिनों मैं क्लास आठ का छात्र था..
जैसा की लोग कहते है ... प्यार पहली ही नज़र में हो जाता है ... यह मुझ पर पूरी तरह लागू था ...
निशि पतली छरहरी और गोरी थी. उनके पिता जी एक पशु -चिकित्सक  थे  और मेरे पिता जी कृषि -फार्म में मैनेजर.

कृषि फार्म में खेतों की जुताई के लिए बहुत सारे बैल थे ..मेरे पिता जी बैलों की खूब देख-भाल करते थे. वे सप्ताह में एक बार बैलों के जीभ पर नमक रगड़ते  थे,.. मैंने निशि के पापा को पहली बार तब देखा था  .जब पिता जी ने उन्हें बैलों के बीमार होने पर बुलाया था .
दुसरे दिन जब मैं स्कुल गया ... तो मैंने निशि से कहा .."आज मैंने तुम्हारे  पापा को देखा" वो चहक कर बोली  ."कैसे " और फिर मैंने उसे पूरी कहानी स्कुल की  छुट्टी के बाद बता दी.


पहले जब टीचर क्लास आते तो वे कामन रूम से लड़कियों को बुला लिया करते और लडकियां क्लास ख़त्म होने के बाद उनके साथ कामन रूम वापस लौट जाती .. इस कारण हम लोग की बात आपस में बहुत ही कम होती .गाँव के स्कुल में पीने के पानी के लिए चापाकल नहीं था ,सभी बच्चे कुएं पर जाकर पानी पीते थे ... मुझे निशि से गप करने का सबसे अच्छी जगह वह कुआँ ही था जहां गप करने के लिए पानी पीने के बहाने हम दोनों वहाँ पहुँच जाते थे ..
निशि के घर से मेरे घर की दूरी लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर के बीच होगी. उसके पापा और मेरे पिताजी एक अच्छे दोस्त हो चुके थे. निशि के घर पर मैं पहली बार अपने माँ-पिताजी के साथ छत के खरना के दिन प्रसाद खाने के लिया गया था . निशि की माँ छठ व्रत करती थी.
पहली बार निशि के हाथों का स्पर्श तब हुआ जब.. वह  छठ का प्रसाद लेकर मेरे हाथों में दी.
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मैं अपने क्लास में हमेशा अव्वल आता था सभी लड़के यदा-कदा मेरी कापी मांग कर नोट्स नकल करते थे .. अब एक दिन निशि ने मेरी विज्ञान  की कापी  मांगी . निशि मुझे चाहने लगी है , इसकी स्पस्ट झलक मैंने उसकी आँखों में देखी//
ऐसे लोग जो भी बोलें... प्यार करने वाले एक दुसरे के आँखों की भाषा पढ़ लेते है.

निशि  से बातों का सिलसिला जारी रहे ,इसिलए एक  दिन  मैंने  उससे इंग्लिश की कापी मांगी.उसके कॉपी से मुझे कोई मतलब तो था नहीं ,बस यूँ ही बात-चीत चलता रहे,इसी उदेश्य से मैंने यह किया था
घर लाकर उसकी कापी को  उल्टा-पुल्टा ..अंतिम पृष्ठ पर " तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नज़र ना लगे " जो किसी फिल्म प्रोफ़ेसर का एक गाना है ,लिखा हुआ था .. यह गाना उनदिनों रेडिओ पर खूब बजता था. मैंने तुरंत उस गाना को पूरा  उसकी कापी में लिख दिया और  दुसरे दिन उसकी कापी उसे लौटा दी //
  
अब बात निशि के चौकने की  थी.. दूसरे दिन  उस्सने पूछा ..आपने यह गाना पूरा क्यों लिख दिया
"आपको शायद पसंद है.. ऐसा मुझे लगा "
मैं बुक स्टाल से कभी-कभी 'मायापुरी " नाम से फिल्म पत्रिका खरीद लेता था सो मैंने निशि को भी पढने के लिए दिया.
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समय तेजी से भाग रहा था और जब मन  प्रेम में बंधा हो तो समय गुजर जाने का तनिक  भी आभास नहीं होता. मैं  .क्लास आठ से क्लास दशमी  तक पहुँच गया था . हम लोग युवा हो रहे थे
उन दिनों स्कुल का कोई यूनिफार्म नहीं था. जो जैसा चाहे कपडा पहन कर स्कुल आता. एक दिन निशि फ्रोक की जगह "समीज सलवार " पहनकर स्कुल आई . मिलते ही चहक कर पूछी ..कैसी लगती हूँ ?
पता नहीं मुझे अचानक क्या सुझा ..मैंने कह दिया ..मुस्लिम लड़की की तरह लगती हो "
उसके चेहरे से निराश के भाव झलक रहे थे
पुनः दूसरे दिन से वह फ्रॉक पहन कर ही आने लगी
कुछ दिनों बाद पूछा .. समीज सलवार अब क्यों पहन कर नहीं आती
आपको पसंद नहीं. इसलिए अब नहीं पहनती ..और न पहनुगी//

(मेरी कहानी"निशि" का एक अंश  )

शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

कोजागरा

कोजागरा ... नाम सुनने में तो बड़ा ही अटपटा लगता है ,परन्तु बिहार के मिथिलांचल में यह एक महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में मनाया जाता है. इस पर्व में नव विवाहित वर -वधू चांदनी रात में गोबर से लीपे, अल्पना से सजे आँगन में जग्न्न्मता लक्ष्मी और इंद्र व् कुबेर की विधिवत पूजा की जाती है . अभ्यागतों का स्वागत पान-मखान से किया जाता है.कोजागरा का विशेष आकर्षण है .. वर -वधू की अक्ष-क्रीडा

नव विवाहित जोड़ों के आनंद के लिए दोनों को जुआ खेलाया जाता है और चूँकि वधू अपनी ससुराल में नई होती हैं, जहां वरपक्ष की स्त्रियाँ और युवतियां अधिक होती है मीठी बेईमानी कर वर को जीता दिया हैं. लक्ष्मी पूजन के उपरान्त नव-विवाहित जोड़े  पुरे  टोले लोगों को पान मखान बाटते हैं . कोजागरा के भर (उपहार) के रूप में वधू के मायके से बोरों में  भरकर ताल मखाना आता है

मखाना बहुत हल्का होता हैं तीन-चार किलो में ही एक बोरा भर जाता है. तालमखाना मिथिलांचल के पोखरों में ही होता होते हैं और कही नहीं. इनके पत्ते कमल के पत्तों की गोल-गोल मगर कांटेदार होतें हैं . उनकी जड़ में रुद्राक्ष की तरह गोल-गोल दानों  के गुच्छे होते  हैं ,जिन्हें आग में तपाकर उसपर लाठी बरसाई जाती है ,जिससे उन दानों के भीतर से मखाना निकल जाता है .

यह प्रक्रिया बहुत ही श्रम-साध्य है जिसे मल्लाह लोग ही पूरा कर पाते है. जिस दिन वे हार मान लेंगे उसी दिन ताल-मखाने पूरी दुनिया में दुर्लभ हो जायेंगे . दुर्भाग्यवश इस प्रक्रिया का यंत्रीकरण नहीं किया जा सका है //
( डा बुध्हिनाथ मिश्र के संस्मरण से साभार )

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

ऋणात्मक ऊर्जा

तुममें इतनी ताकत नहीं कि
हवाओं को पटक सको
बादलों को रोक सको
फूलों से खुशबू छीन सको
और तो और
मुगियों को कटने से रोक सको //

मगर तुममें    बहुत  ऊर्जा  है
संवेदनशील से संवेदनहीन बन जाने के लिए
क्षण में विचारों को पलट  देने के लिए
माँ- बहनों   को नंगा  करने  के लिए

जरा  सोचो ..
तुम्हारी ऊर्जा का वहाब किधर  जा  रहा  है


गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

"स्कालर"

"स्कालर"  मैंने इसका अर्थ शब्दकोष में खोजने की चेष्टा नहीं की .. अख़बारों में छपे खबर के अनुसार स्कालर उसे कहते है जो किसी परीक्षा में पैसे लेकर दुसरे के बदले बैठ कर उसे पास करवा देते है .//
बिहार के अखबारों में आजकल इन दिनों ऐसी मामलों के समाचार छापते रहते है //

ऐसे मामलों की जानकारी करीब १०-१२ वर्ष पूर्व तब हुई जब नालंदा जिले के रणजीत डॉन ने सैकड़ों की संख्या में इंजिनीयर डोक्टर और बैंक पी ओ इस विधि से बना चुके थे //

वे पकडे तब गए तब वे इस तरकीब को भारतीय प्रबंधन संस्थान की परीक्षा में इसे अपना रहे थे.
इस विधि में पद के अनुरूप  पैसा लिया जाता है जैसे मेडिकल में एड्मिसन के लिए २० लाख ,पी ओ के लिए १० लाख इतायादी //
ये लोग कोम्पुटर से फोटो की मिक्सिंग ऐसा करते है कि अंतर पहचानना मुश्किल होता है .
पकडे जाने पर भी सजा का कोई विशेष प्रावधान नहीं है ...
जो परीक्षक बड़े गौर से हस्त लेखन मिलाते है ..वो ही ऐसी लोगो को पकड़ पाते है ..मुझे एक बार मैट्रिक परीक्षा में ड्यूटी  मिली थी ... मैं तो नहीं पकड़ पाया... मगर एक स्कुल के शिक्षक ने ही  इसे पकड़ा
ऐसे मामले दिन -ब- दिन बढ़ते जा रहे है... यह ज़रूरी है कि इस सम्बन्ध में कुछ कडा कानून बने..

बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

ए सी रेस्तरां

मेरी तो उतनी औकात नहीं कि
ए सी रेस्तरां में खाना खाता फिरू ... मगर कभी कोई ए सी रेस्तरां में खाना खिलाने या पार्टी देने ले जाता है ,तो मना भी नहीं करता.
 मेनू देखकर जो डिश सस्ता प्रतीत होता है .. उसका बिल आने पर महंगा लगता है ..क्योकि उस पर १२% सेवाकर जोड़ दिया जाता है .
केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग ने सोमबार को देर शाम एक सर्कुलर जारी कर यह स्पस्ट कर दिया है कि एम आर पी पर बिकने वाले सामग्रियों ( ( कोल्ड ड्रिंक , मिनरल वाटर बटर ईत्यादी )पर सेवा शुल्क नहीं लगेगा .
वैसी स्थिति में जहां दो प्रकार के रेस्तरां है ,उसमे सिर्फ वातानुलूलित स्थान का इस्तेमाल करने पर ही सेवाकर डेय होगा ..
चलिय कुछ राहत तो मिली //

सोमवार, 23 सितंबर 2013

ये राजनितिक पार्टी की जुलूस है

राजभवन/ राष्ट्रपति  भवन को कूच करता
यह जुलुस
आम आदमी का नहीं हो सकता //

ख़ास बात है
इस जुलूस में
बैनर बदले है
मांगे बदली है
मगर !
बैनर पकड़ने वालों का चेहरा एक ही है //

माइक पर जो व्यक्ति कल
सरकार की नीतियों का बखिया उधेड़ रहा था
आज वही शख्श ...
सरकार की उन्ही नीतियों पर
गंगा -जल डाल रहा है //
जाने दीजिये ...
इस जुलूस  को
ये राजनितिक पार्टी की जुलूस है //

शनिवार, 21 सितंबर 2013

बस य़ू ही ...

रुपयों की तंगी से कितने तंग सो जाते है लोग
खुली सड़क बिना बिछावन य़ू ही सो जाते है लोग //

पग-पग पर हालातों से समझौता करते हैं लोग
दोस्ती दिखाने को बस य़ू ही मुस्कुराते हैं लोग //

बातों को काटते-काटते , सर काट देते हैं लोग
जिंदगी बस यु ही,लड़ते-झगड़ते बिताते है लोग //


पहले  मुसीबतों में खुलकर मदद को आते थे लोग
अब  माँ-बहनों को देख,य़ू ही लंगोटा खोल देते है लोग //


मंगलवार, 20 अगस्त 2013

!! मेरे बच्चे !!

अजीबोगरीब है ...
मेरे बच्चो के शगल
मकई के बालों का मुछं बना
डराते हैं अपनी माँ को //
दौड़ पड़ते है ..
रंग-बिरंगी तितलियों के पीछे
नहर में छलांग लगा देते है
नहाने के वक़्त
और हाथों से घोंघा निकाल लेते है//

आश्चर्य होता है मुझे
जब ये कन्धा देते है
मुहर्रम के ताजिये को
और बड़े उनके रास्तों को रोकते है //

इनके दोस्त ...
फरहान और अख्तर भी
तन-मन से करते है
छठ घात की सफाई //

जब फसं जाता है ट्रेक्टर खेतों में
उसे निकालने दौड़ पड़ते है ...
अरे भाई ... !
शहर में नहीं,
गाँव में रहते है मेरे बच्चे //

रविवार, 28 जुलाई 2013

क्यों करेगी दोस्ती, नदी हमसे

गज़ब संयोग है
आदमी और नदी का ....
नदी जब प्रसन्न  होती है
आदमी निराश होने लगता है ...
क्या पता...
क्या होगा ....
घर बहा ले जायेगी
या फिर खेत
नदी हमसे मुहब्बत नहीं करती
क्योकि बना ली हमने
अपने घर ... उसके रास्ते में
नदी को बाँध दिया है हमने
नदी के जीवों को
मार दिया हमने
क्यों करेगी दोस्ती, नदी हमसे

शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

प्यार की गोली (हसिकाएं)

(१)
मैं तुम्हें पसंद
तुम मुझे
खयालात दोनों के
अब मिलने लगे गले
अरे ! हटो ..
मुझे  तो इश्क होने लगा

(२)
लव की पोटली से
एक गोली खाकर
वह लगा डकरने
आओ ! सनम
नहीं तो , मैं चला मरने ...

मीठा पुलाव और सोया बरी

कल तक माँ
घर के
मिटटी के चूल्हे
बुझा देती थी पानी के छींटे मारकर
आज ये खुद भुझ गए  है
माँ की  अविरल आंसुओं से //

दादा के कन्धों पर चढ़कर
दहाड़ मारता था जो पोता
वह कन्धा अब टूट चूका है
"मेरी लाठी था रे तू !
क्यों टूट गया "
चीख रहा है दादा

बच्चे कहते है
बेहतर है
माँ की सुखी रोटी और प्याज
मीठे पुलाव और सोया-बरी की सब्जी से //
( बिकार के छपरा जिले में १६-७-१३ को मिड दे मिल
खाने से २४ बच्चो की मृतुयु के बाद लिखी गयी पोस्ट )

सोमवार, 8 जुलाई 2013

मुनादी ..

नाबालिक बच्ची है
उम्र कोई १५ साल
जींस और टॉप पहने
रंग गोरी ,चेहरा गोल है
बाल कंधे तक
बांगला खूब बोलती है
हिंदी/इंग्लिश समझती है
लापता है ...

अरे ! काम की बात बताना
भूल ही गया
नाचती और गाती है
ओर्केस्ट्रा में काम करती है ...
कैसे भेज देती है एक माँ
उसे बिहार .... मात्र एक कागज पर
ले जानेवाले से दस्खत करा कर //

उसे क्या पता था
ओर्केस्ट्रा वाला धकेल देगा
किसी गैर मर्द के साथ ,सोने के लिए
खैर ... किसी तरह भाग निकली है
तब से लापता है ..

आपके पास कोई
नाबालिक बच्ची तो नहीं लाई गयी...

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

गलतियां

खूब मन लगता था
बचपन में
गलतियां खोजने में
एक ही तरह दिख रहे
दो चित्रों के बीच

आदत वहीँ से बन गयी
अब तो
गलतियां -ही गलतियां
अवगुण ही अवगुण
झट खोज बैठता हूँ ..
हर इंसान में //

मंगलवार, 25 जून 2013

औरत होने का मतलब

रोज मरती हूँ ...
प्रसव के दौरान ..
बलात्कार के दौरान
फेक दी जाती है शराब
मेरे चेहरे पर
कभी फांसी पर लटक जाने को
कर दी जाती हूँ मजबूर ...
कम से कम
 गर्भ  में मत मारो मुझे ...//

रोज पिट जाती हूँ
जब पूछ बैठती  हूँ
क्यों पी लेते हो रोज ?
इसलिए भी पिट जाती हूँ
खराब हालतों में मैंने
नहीं खेलने दिया अपने शारीर से ...

क्या औरत होने का मतलब
पीटना/मरना ही लिखा  है
अब मैं लडूंगी ..
दुर्गा/काली बनकर
फिर मत कहना ..
तुमने ऐसा क्यों किया ? 

शुक्रवार, 14 जून 2013

ए लेटर टू डैड

हाय डैड !
एम हैपी ऐन्ड यू
एक पेपर में बैक क्या लगा
तुमने मेरा मिनट टू मिनट प्रोग्राम पूछ डाला
लो पढ़ लो!
माँ को मत बताना
आप पर ही गुस्सा होगी वो!

आठ बजे की रिंग
टोन लगा रखी मैंने
फटाफट  उठता हूँ
फिर बाथ-रूम
ढेर सार डियो  स्प्रे करता हूँ
ये मत पूछना पापा !
हनुमान चालीसा क्यों नहीं पढ़ते
दैथ्स बोरिंग !

अरे कालेज  क्या जाना !
टीचर  हैं कहाँ पढ़ाने वाले
जो भी पढता हूँ कोचिंग में
फिर दिन भर ....
माल../ मल्टीप्लेक्स और गर्ल फ्रेंड
दिन का खाना
किसी रेस्टोरेंट में /अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ

और सुनो !
थककर बोर होने के बाद
फेसबुक
रात के दो बजे तक
हंसी-मजाक ,फोटो और विडिओ शेयर //

और सुनो डैड !
दस हज़ार मेरे ए टी ऍम  में भेज दो
नहीं भेजना  चाहते
नो प्रॉब्लम !
ढेर सारे ऑप्सन है अर्न करने के
सो रिलैक्स //
योर सन

गुरुवार, 13 जून 2013

ग़ज़ल 2013

गलियों  में भवरे बहुत है ,फूल मस्त खिले होंगे
वो बहुत खुश है,जरुर किसी के गले मिले होंगे //

ज़रूरत पर जब दोस्तों ने, उनसे बेरुखी की होगी
उन्हें अब  रब बचाए ,ज़रूर उनके दिल जले होंगे  //

नई कोंपलें आने पर , खिलखिलाने लगी है शाखें
पतझड़ में उसने भी ,जुदाई के गम सहे होंगें //

रविवार, 2 जून 2013

गुलबदन

माना कि वो गुलबदन है
मगर कांटें हैं -ज़ुबानों में
आँखों में लिए
इश्क का खंजर
घुमती हैं बेख़ौफ़ //

बेजुबान रहकर भी
रौंद देती है वफ़ा के पेड़ को
जड़   से
पता नहीं ..
 कौन सा आरा है उनके पास ? 

शुक्रवार, 31 मई 2013

आगोश में लेकर


ऐसा कौन सा प्रश्न है
जिसे तुमने पूछा
और मैं अनुतरित रह गई
जिसका उत्तर
तुम खोजते रहते  हो
मेरी आँखों में

और आगोश में लेकर पूछते हो

कैसा लगता है
तो सुनो !
मैं शब्दहीन हूँ
इस सुखद एहसास को वयाँ करने में


सोमवार, 27 मई 2013

औरत - चार कविताएँ

(१) 
मेरी दादी एक औरत थी 
कहते है, 
शादी के बाद/ घुघट मे रहती थी. 
दादा और देबरो को छोड़कर 
शायद ही 
किसी ने उनका चेहरा देखा हो 
दादा जी का सेवा करना 
अपना धर्म समझती थी. 
पति/ बच्चो को खिलाने के बाद 
जो बचता था -- 
वह खाती थी. 
रात बारह बजे भी 
कोई आए 
तो उनके लिए खाना बनाती थी. 

(२) 
मेरी मा भी एक औरत है.
हमेशा साडी पनहती है 
परन्तु-- 
घुघट नही करती 
हम सब भाई 
मा का दूध पीकर 
बड़े हुए है. 
पूरी माँग मे सिंदूर करती है 
मेरी मा 
कही जाओ ---- 
तो नास्त! देना नही भूलती 
कहती है 
औरत तो 
गाय होती है -- 
जिस खुंते से चाहो, बाँध दो..... 

(३) 
मेरी पत्नी भी एक औरत है. 
छोटे-छोटे बाल रखती है 
ऑफीस जाती है 
बोतल का दूध पीकर 
पले है मेरे बच्चे 
साडी पहनती है 
शादी- विवाह के मौके पर ही 
स्कूटी चलाती है 
कहती है 
ऑफीस से आने के बाद 
थक जाती हू मे 
एक दाई रख लो 
टी० वी सीरियल देखती है 
मे बाहर जाता हू , 
तो कहती है 
बिस्कुट या केक खरीद कर खा लेना 
कोई वेवक़्त आए --- 
तो अच्छा नही लगता.

(४) 
मेरी बेटी भी एक औरत है 
जीन्स और टीशर्ट पहनती है 
इंग्लीश बोलती है 
मम्मी-पापा और 
आपने भाई-बहन को छोर कर 
शायद ही वह किसीको पहचाने 
कार चला लेती है 
इंटरनेट पर चाटिंग करती है 
खाना बनाने क! तो सवाल ही नही 
कहती है 
अपने मन से 
शादी करूगी 
शायद राखी सावन्त की तरह 
स्वंबर करे. 
( Udita Tyagi .. facebook friend)

------------baban pandey

मंगलवार, 21 मई 2013

एक लड़की का अंतर्द्वंद


न तुमने कभी
मेरे गेसुओं को हाथों से हिलाया है
न कभी
मेरे नर्म गुलाबी लवों को सहलाया है
मुझसे कभी नहीं कहा
झरने सी गुनगुनाती हो
गोरी इंतनी कि दूध शरमा जाए
आदि-आदि
जो लड़के कहते है
लड़कियों से अक्सर
समीप पाने की चाह में //

तुम तो बस
हाथों में हाथ लेकर
मेरी आँखों में देखते हों
पक्का यकीन हो चूका है मुझे
शादी पूर्व के बंधनों को
तुम नहीं तोड़ने वाले
दिल जीत लिया तुमने मेरा
अपने सभ्य व्यवहारों से //

अब देखना है शादी के बाद
जब पंडित जी और माता-पिता
मेरा हाथ रख देंगे /तुम्हारे हाथ पर
तो देखते है
कौन पहल करता है हाथ हटाने की //

शनिवार, 18 मई 2013

प्रार्थना


जब नयनों में तुम बसते हो
मेरा नयन कमल हो जाता है
जब साँसों में तुम बसते हो
मेरा हृदय सबल हो जाता है 

रोने की आदत


वे गुजर रहे होते हैं
तो देखकर भी
मन नहीं करता उन्हें टोकने का /बोलने का
मिलते ही शुरू हो जाते है
मानों दुनिया के सारे दुःख
डाल  दी गई हों उनकी झोली में //

उन्हें
बार-बार दिखते है  वैसे चेहरे
 जो घूम रहे होते है
वातानुकूलित मंहगी गाड़ियों में/ हवाई जहाजों में
और
काटते रहते हैं फीते
सम्मेलनों और आयोजनों के //


मैं उन्हें /अपने  साथ
घुमाना जाता हूँ गाँव
ताकि उन्हें हमेशा याद रहे
पुआल पर बेखवर सोये लोगों के चेहरे
किसी भी चीज को खाकर पेट भर लेने  की आदत //

शायद!
 ऐसा होने से
वे रोना बंद कर देंगे //

गुरुवार, 16 मई 2013

रिश्वत


रिश्वत का बोलबाला है..
कोई काम हो तो कैसे
रिश्वत दी मैने उन्हें
मीठी बोली की //

 प्यार पाने को लोग
रिश्वत देते है फूलों की

जानते हैं !
आज सूरज क्यों है चमकीला और गर्म
जी हाँ !
चाँद  ने रिश्वत  दी है सूरज को
वह जितना गर्म होगा
चांदनी राज करेगी
सबके दिलों पर

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

मेरे पिता जी का जन्म-दिन

हैप्पी बर्थ डे है आज
मेरे पिता जी का
उत्सवी माहौल है घर में 
घर के बाहर /चायनीज बल्ब सज गए है 
बैलून और झालर से उनका कमरा सजा है//

जिसमे अमूमन शायद ही कोई जाता है 
70 के है मेरे पिता जी 
पोतों ने शुरू की है उनके जन्म दिन मनाने की परम्परा
उनकी सेवा निवृति के बाद//

बड़े प्यार से पोछती है
धुल से सनी
उनकी ज़वानी की फोटो/मेरी पत्नी
जैसे पोछी जाती है
बापू की मूर्ति चौक-चौराहों पर 2 अक्तूबर को //

आज उनका बचत खाता खाली हो गया है
उनके पोते ने ख़रीदा है टैबलेट /
और बहु ने हीरे की अंगूठी //
पिता जी कहते है
ये सब बच्चो और तुम्हारे लिए ही तो है //

मुझे मालुम है
उनके पोते और उनकी बहु
कल से उनकी कोई कद्र नहीं करेंगे //

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

हे! कामिनी



हे!
 कुमुदनी सी खिलने वाली
हरश्रींगार  सी हसने वाली
कचनार सी लचकने वाली
अपनी अंगडाई से
कली को फुल बना देने वाली
सौन्दर्य की हरीतिमा से लदी हुई
अनुपम,मनोहारी कामिनी
आपको मेरा प्रणाम ..
आप अगर अच्छी नहीं लगती
तो बस ....
सास-ससुर को ताने मारते वक़्त

रविवार, 31 मार्च 2013

शिक्षक बहाली -एक लघु कथा


मुखिया जी पूरी मस्ती  थे उनके पंचायत में २० शिक्षक की बहाली जो होनी थी . शिक्षक बनने वाले उम्मीदवार उनसे संपर्क साध रहे है मगर जो  संपर्क कर रहे है उनका प्राप्तांक ५०% ही है मुखिया जी कहते है ... बहाली हो जायेगी दो लाख लगेंगे. बात मेरी समझ में भी नहीं आई कि ७०-८०% अंक लाने वालों का न होकर ५०% वालों का कैसे  हो जाएगा

मगर मुखिया जी के दिमाग को दाद देना होगा, बड़ा ही आसन तरीका था . मुखिया जी ने अपने पचायत में शिक्षक बहाली के लिए जो आवेदन लिया उनका प्रतिशत ५०% से नीचे ही था अधिक प्रतिशत अंक लाने वालों का आवेदन लिया ही नहीं,एक- दो लिया भी ,तो कोई न कोई कारण बनाकर निरस्त कर दिया ....

रविवार, 24 मार्च 2013

जब भी तेरी याद आए


सुबह देखता हूँ, शाम देखता हूँ
जब भी तेरी याद आए,चाँद देखता हूँ 

हर आहट पर तेरी , आती है खुशबू
हर फूलों पर, तेरा नाम देखता हूँ 

उलझी हुई है ,तेरे काले-काले गेसू
काले बादलों पर तेरा नाम देखता हूँ ...
                                                                                                                                                                                                              

बुधवार, 13 मार्च 2013

मिलन


तुम्हारी याद
मेरे दिल की शांत झील में
पहले तो एक पत्थर की तरह गिरती है
फिर उठा देती है सुनामी सी लहरें

 प्रश्न है
आखिर क्यों आती हो तुम याद
मैंने तो तुम्हारे साथ
अग्नि के शात फेरे भी नहीं लिए
कसमें भी नहीं खाई
जिंदगी भर साथ निभाने की


जिन्होनें सात फेरे लिए 
मरने-जीने की कसमें खाई 
अब वे कहते है 
दिखावा है ये सब 
क्योकि अलग-अलग होने के 
पदेन हैं लाखों आवेदन कोर्ट में 

तॊ आओ प्रिय!
सात फेरे लेने से पहले 
हम शपथ लें लें 
हम मिलेंगें /अलग होने के लिए नहीं 
जीवन भर साथ-साथ चलने के लिए//


सोमवार, 11 मार्च 2013

पूजा और प्रवचन

पूजा क्या है--- मैंने इस पर अपनी समझा के मुताबिक़ बहुत माथा-पच्ची की , अंत में यही निष्कर्ष निकला कि यह दिनचर्या शुरू करने का एक अच्छा माध्यम है साथ-ही साथ अपने आराध्य देव को खुश करने का और आत्म संतुष्टि पाने का सर्वोत्तम विधान है

हो सकता है .. आप मेरे विचारों से सहमत न हों  पूजा करना, कपडे को आयरन (ईस्त्रि) क्र पहनने जैसा है इसमें कोई गारंटी नहीं कि कपडे में मौजूद विषाणु मर ही गए हों
जबकि प्रवचन में हम किसी संत, महापुरुष, वैज्ञनिक या किसी अन्य सामज सुधारक के बारे समाज और इंसानियत के प्रति किये गए उनके कृत्यों को सुनते है . सुनने के दौरान दिल के अंदर टिस उठती है कि शायद हम भी वैसा कुछ कर पाते, जिससे मेरे जीवन के चर्चे नश्वर शारीर छोड़ने के बाद भी इस लौकिक संसार में बने रहते //

लगातर प्रवचन सुनने से मानव मन के अंदर का रावण धीरे-धीरे मरने लगता है ,और राम हावी होने लगता है . ऐसा होने से हम भी उनके द्वारा किये गए कार्यों या समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी को निभाने कि कोसिस करते है.सीधे  रूप में यह कहा जा सकता है कि लगातर प्रवचन के श्रवण से मानव का आचरण सवर सकता है जबकि पूजा करने से सिर्फ आत्म-शुद्दि का भाव ही जागृत होता  है

समाज में बुराइयों का अंत नहीं है पहले लोगों को लगता था कि सती प्रथा ही समाज कि सबसे बड़ी बुराई है जैसे ही यह कुप्रथा दूर हुई दूसरी अनेकानेक बुराइयों ने समाज में अपना घर बना लिय! इटरनेट और टी. वी आने के बाद अपनी भारतीय संस्कृति पर ज़बदस्त हल्ला और कुठाराघात हुआ . कानून बना देने समस्या का समाधान नहीं है किसी बड़े वकील का घर देखिये  धोखाधड़ी  , हत्या  और अन्य अपराध कि रोक-थाम के लिए बने कानून कि किताबों से भरा होता है .. फिर भी किसी अपाराध में कमी आई है ?

अच्छा तो यही होगा कि बुराइयों का अंत उसका जड़ काटकर करें... बाल्यावस्था से अगर इस और प्रवृत होने कि कोसिस क़ी जाए , तो हम प्रवचन सुनकर और सुनाकर एक स्वस्थ समाज बनाने क़ी और अग्रसर हो सकेगें 

सोमवार, 4 मार्च 2013

समर्पण

मैंने तुम्हारा हाथ माँगा था
तुमने तो दिल ही दे दिया 
मांगी थी थोड़ी सी खुशबु 
तुमने तो पूरा गुल ही दे दिया//

अर्ज किया था, थोड़ी सी रौशनी के लिए
तुमने तो  पूरा चाँद ही दे दिया
मांगी थी मुहब्बत की एक घूंट
तुमने तो पूरा जाम ही पिला दिया /

/

शनिवार, 2 मार्च 2013

तो समझो ! आ गई होली

जब बोले कोई कौआ
कोयल सी मीठी बोली
तो समझो ! आ गई होली

जब आग लगे पुरवाई में
छाये उमंग, बिन खाए गोली
तो समझो ! आ गई होली

जब प्यारी-प्यारी साली
आँखों से मारे गोली
तो समझो ! आ गई होली

जब भैया , भाभी से करते हथरस
और फट जाए उनकी चोली

तो समझो ! आ गई होली

रविवार, 17 फ़रवरी 2013

तुम हार गए बसंत !


(photo.. ROLI Pathak ,Bhopal )बसंत आ गया है ...
इसकी जानकारी अखबार से हुई
या फिर, कम्पूटर में सुंदर फूलों को देखकर
मैं ठीक से कह नहीं सकता //


वैसे  बगीचे में
फुल तो महकें होंगे
आम्र-मंजरियाँ महकी होंगी
मगर, गटर के गंदे पानी के गंध से
हुई जंग में हार गई होगी.//

कोयल कूकी होगी 
मगर उसकी कूक दब गई होगी 
मोबाइल के रिंग टोन में //

श्री मति जी वासंती साड़ी पहनी ज़रूर है 
मगर, उनकी मुस्कुराहटों में बसंत नहीं दिखता


सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

उफ़ ! ये शहर है ....


हाई-अलर्ट है पूरे शहर में
धारा १४४ लगी है
बच्चे इसका मतलब पूछते है..
क्या बताऊँ उन्हें
कसाब के  बाद अफजल को फांसी 
पत्नी कहती है 
आज बाहर मत जाइये //

रातों को नींद नहीं 
जबसे सुना है..
पाकिस्तान ने बना लिया है
२००० किलो मीटर तक मार मार  वाले मिसाइल 
उपर से रोज-रोज
लश्कर-ए=तैयवा और अलकायदा की धमकी 
बाबरी मस्जिद की बरखी 
26/10 , 9/11 है सो अलग...!
उफ़ ! ये शहर है  या
खौफ का समदर//

बुधवार, 30 जनवरी 2013

"फ़ास्ट लाइफ़ "


एक युवा /दुसरे को
"फ़ास्ट लाइफ़ " के तरीके बता रहा था
धक्का दो ...
सारी कह आगे बढ़ जाओ
अतिथियों का स्वागत
मुस्कुरा कर करोगे ना
तो तेरे घर में ....
लम्बी लाइन लग जायेगी यार!
मुस्कुराओ तब...
जब सामने वाले से बात चले
कुछ बिजनेस की
और सुनो !
कानून से मत डरो
उसमे बहुत छेद है ...

सुनते ही मैंने कहा
आपकी बातें
इंसान को हैवान बनाने वाली है
मेरी गाल पर एक थप्पड़ मारा उसने
कहा !
चुप शाले ! तू सठिया गया है .

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

अजनबी


पता नहीं ...
किसी  को अजनबी हम क्यों कहते है ..
शुरू में तो सब अजनबी ही रहते हैं ..
आदमी ही नहीं ..
वो भी
जिसे हम ईश्वर कहते है ..
आइए...
अजनबियों से दोस्ती का हाथ  बढ़ाये
शायद वे ...
प्रभु के दुसरे रूप हों

बुधवार, 2 जनवरी 2013

आँख-मिचौली


आओ !
वक़्त के सुराही से
 सुख के कुछ पल उढ़ेल लें
वैसे तो ...
हर घर के टेबल पर रखे
गिलास में
दुःख का पानी भरा है //

मेरे बारे में