followers
मंगलवार, 27 मार्च 2012
संतोषम परम सुखम
देख तुम्हारी भरी जवानी , मैं क्यों बहकूँ
हो फूल भवरे की तुम , फिर मैं क्यों चहकूं //
खुश हूँ अपने घर में ,माता-पिता के संग
देख तुम्हारी महल अटारी , मैं क्यों तरसूं //
मेहनत की सूखी रोटी , लगती है मीठी
देख तुम्हारा हलवा-पुआ , मैं क्यों तडपूं //
हर आंसू में तुम बसते हो , ऐसा मैंने पाया
मंदिर में तुम्हें खोजने , फिर मैं क्यों भटकूँ //
शुक्रवार, 23 मार्च 2012
हर दिल टुटा नज़र आता है //
हर भूखे को चाँद भी रोटी नज़र आता है
जिधर देखो , हर दिल टुटा नज़र आता है //
कुछ इस कदर हिल गया है,विश्वास का पेड़
अब तो हर दोस्त भी ,दुश्मन नज़र आता है //
बहुत बढ़ गया है प्रदूषण , हमारे पर्याबरण में
अब तो हर पेड़ भी , सुखा नज़र आता है //
चीनी खाते है हमसब, मगर मुह में मिठास नहीं है
हर आवाज़ में अब क्यों , कडवाहट नज़र आता है //
रविवार, 18 मार्च 2012
कुछ तो बोलो गोरी
उर का संगम पाकर
मस्त हुई तेरी ओढ़नियाँ
मेरा आलिंगन पाकर
बज उती तेरी पैजनियाँ //
तेरी आँखों में लगकर
मस्त हुआ ये काजल
उड़ता गेसू देख तुम्हारा
मस्त हुआ ये बादल //
तेरे माथे में सजकर
मस्त हुआ ये कुमकुम
कुछ तो बोलो गोरी
क्यों बैठी हो गुम-शुम //
तेरे कानों को चूमकर
मस्त हुई ये बाली
अपना लो प्रीतम मुझको
कर दुगां तेरी रखवाली //
गुरुवार, 15 मार्च 2012
फेस बुक
नहीं चिल्लाता बच्चों पर अब , रहता हूँ मैं अब चुप
भूख नहीं लगती है मुझको ,ना ही पीता मैं अब सूप
नहीं संभालता मैं किचेन , ना ही बनता मैं अब कुक
जब से लाया हूँ ,बीबी की सौतन नई नवेली फेस-बुक //
सारा ध्यान स्टेटस पर अब , कितने कमेंट्स हैं आये
कौन फ्रेंड्स हैं स्नेह बनाए , कौन फ्रेंड्स अलसाए
महिला मित्रों की चैत्तिंग से , बदल जाता मेरा रंग-रूप
सुबह -शाम मत मिलना मुझसे ,कहता मित्रों से दो टूक//
मंगलवार, 13 मार्च 2012
जी करता है ....
जी करता है ....
तेरी यादों से खेलूं
जी करता है ....
तेरे सपनों में जी लूं //
जी करता है ...
तेरा यौवन छू लूं
जी करता है ....
तेरे नयनों को पी लूं //
जी करता है ...
तेरी साँसों में बसकर
फूलों को महका दूँ
जी करता है ...
तेरे उर में घुसकर
अंग-अंग दहका दूँ //
जी करता है ...
तुमको फिर से पा लूं
जी करता है ...
तुमसे मिलकर जी भर रो लूं //
शुक्रवार, 9 मार्च 2012
रावण सिंह
मेरे पड़ोस में रहते हैं -रावण सिंह
वे रामायण के रावण जैसे नहीं दिखते//
वे इन्कम-टैक्स भरते है
वे होल्डिंग टैक्स भरते हैं
वे वेल्थ -टैक्स भरते है
उनकी मूछें नहीं है
न ही खुटीदार दाढ़ी
नेता /पुलिस से उनकी छनती है
लोग दबी ज़वान से कहते है
उनके यहाँ हर किस्म की वाईन मिलती है //
वे मिलनसार हैं
फिर भी , पता नहीं क्यों
आम लोग उनसे डरते हैं//
अरे! एक बात तो भूल ही गया
वे सीता-हरण नहीं करते
बल्कि ,रोज नई -नई सीता
खुद ही चलकर
आती है उनके घर //
वे रामायण के रावण जैसे नहीं दिखते//
वे इन्कम-टैक्स भरते है
वे होल्डिंग टैक्स भरते हैं
वे वेल्थ -टैक्स भरते है
उनकी मूछें नहीं है
न ही खुटीदार दाढ़ी
नेता /पुलिस से उनकी छनती है
लोग दबी ज़वान से कहते है
उनके यहाँ हर किस्म की वाईन मिलती है //
वे मिलनसार हैं
फिर भी , पता नहीं क्यों
आम लोग उनसे डरते हैं//
अरे! एक बात तो भूल ही गया
वे सीता-हरण नहीं करते
बल्कि ,रोज नई -नई सीता
खुद ही चलकर
आती है उनके घर //
सदस्यता लें
संदेश (Atom)