![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmbcaie2xut6iLPyecwJpMrrtVaZnblTYJ8ZQChuMBRocEb6pT7Ut-Y8Zt3wYiMlLPkeGdMZga6i-cZ7IpjMa6GKvjNEoIekGPWSl7piujUnbz3yRh5c97ACXrZ1PbKYvylCZdNPv9xDA/s320/ful.jpg)
देख तुम्हारी भरी जवानी , मैं क्यों बहकूँ
हो फूल भवरे की तुम , फिर मैं क्यों चहकूं //
खुश हूँ अपने घर में ,माता-पिता के संग
देख तुम्हारी महल अटारी , मैं क्यों तरसूं //
मेहनत की सूखी रोटी , लगती है मीठी
देख तुम्हारा हलवा-पुआ , मैं क्यों तडपूं //
हर आंसू में तुम बसते हो , ऐसा मैंने पाया
मंदिर में तुम्हें खोजने , फिर मैं क्यों भटकूँ //