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रविवार, 31 मार्च 2013

शिक्षक बहाली -एक लघु कथा


मुखिया जी पूरी मस्ती  थे उनके पंचायत में २० शिक्षक की बहाली जो होनी थी . शिक्षक बनने वाले उम्मीदवार उनसे संपर्क साध रहे है मगर जो  संपर्क कर रहे है उनका प्राप्तांक ५०% ही है मुखिया जी कहते है ... बहाली हो जायेगी दो लाख लगेंगे. बात मेरी समझ में भी नहीं आई कि ७०-८०% अंक लाने वालों का न होकर ५०% वालों का कैसे  हो जाएगा

मगर मुखिया जी के दिमाग को दाद देना होगा, बड़ा ही आसन तरीका था . मुखिया जी ने अपने पचायत में शिक्षक बहाली के लिए जो आवेदन लिया उनका प्रतिशत ५०% से नीचे ही था अधिक प्रतिशत अंक लाने वालों का आवेदन लिया ही नहीं,एक- दो लिया भी ,तो कोई न कोई कारण बनाकर निरस्त कर दिया ....

रविवार, 24 मार्च 2013

जब भी तेरी याद आए


सुबह देखता हूँ, शाम देखता हूँ
जब भी तेरी याद आए,चाँद देखता हूँ 

हर आहट पर तेरी , आती है खुशबू
हर फूलों पर, तेरा नाम देखता हूँ 

उलझी हुई है ,तेरे काले-काले गेसू
काले बादलों पर तेरा नाम देखता हूँ ...
                                                                                                                                                                                                              

बुधवार, 13 मार्च 2013

मिलन


तुम्हारी याद
मेरे दिल की शांत झील में
पहले तो एक पत्थर की तरह गिरती है
फिर उठा देती है सुनामी सी लहरें

 प्रश्न है
आखिर क्यों आती हो तुम याद
मैंने तो तुम्हारे साथ
अग्नि के शात फेरे भी नहीं लिए
कसमें भी नहीं खाई
जिंदगी भर साथ निभाने की


जिन्होनें सात फेरे लिए 
मरने-जीने की कसमें खाई 
अब वे कहते है 
दिखावा है ये सब 
क्योकि अलग-अलग होने के 
पदेन हैं लाखों आवेदन कोर्ट में 

तॊ आओ प्रिय!
सात फेरे लेने से पहले 
हम शपथ लें लें 
हम मिलेंगें /अलग होने के लिए नहीं 
जीवन भर साथ-साथ चलने के लिए//


सोमवार, 11 मार्च 2013

पूजा और प्रवचन

पूजा क्या है--- मैंने इस पर अपनी समझा के मुताबिक़ बहुत माथा-पच्ची की , अंत में यही निष्कर्ष निकला कि यह दिनचर्या शुरू करने का एक अच्छा माध्यम है साथ-ही साथ अपने आराध्य देव को खुश करने का और आत्म संतुष्टि पाने का सर्वोत्तम विधान है

हो सकता है .. आप मेरे विचारों से सहमत न हों  पूजा करना, कपडे को आयरन (ईस्त्रि) क्र पहनने जैसा है इसमें कोई गारंटी नहीं कि कपडे में मौजूद विषाणु मर ही गए हों
जबकि प्रवचन में हम किसी संत, महापुरुष, वैज्ञनिक या किसी अन्य सामज सुधारक के बारे समाज और इंसानियत के प्रति किये गए उनके कृत्यों को सुनते है . सुनने के दौरान दिल के अंदर टिस उठती है कि शायद हम भी वैसा कुछ कर पाते, जिससे मेरे जीवन के चर्चे नश्वर शारीर छोड़ने के बाद भी इस लौकिक संसार में बने रहते //

लगातर प्रवचन सुनने से मानव मन के अंदर का रावण धीरे-धीरे मरने लगता है ,और राम हावी होने लगता है . ऐसा होने से हम भी उनके द्वारा किये गए कार्यों या समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी को निभाने कि कोसिस करते है.सीधे  रूप में यह कहा जा सकता है कि लगातर प्रवचन के श्रवण से मानव का आचरण सवर सकता है जबकि पूजा करने से सिर्फ आत्म-शुद्दि का भाव ही जागृत होता  है

समाज में बुराइयों का अंत नहीं है पहले लोगों को लगता था कि सती प्रथा ही समाज कि सबसे बड़ी बुराई है जैसे ही यह कुप्रथा दूर हुई दूसरी अनेकानेक बुराइयों ने समाज में अपना घर बना लिय! इटरनेट और टी. वी आने के बाद अपनी भारतीय संस्कृति पर ज़बदस्त हल्ला और कुठाराघात हुआ . कानून बना देने समस्या का समाधान नहीं है किसी बड़े वकील का घर देखिये  धोखाधड़ी  , हत्या  और अन्य अपराध कि रोक-थाम के लिए बने कानून कि किताबों से भरा होता है .. फिर भी किसी अपाराध में कमी आई है ?

अच्छा तो यही होगा कि बुराइयों का अंत उसका जड़ काटकर करें... बाल्यावस्था से अगर इस और प्रवृत होने कि कोसिस क़ी जाए , तो हम प्रवचन सुनकर और सुनाकर एक स्वस्थ समाज बनाने क़ी और अग्रसर हो सकेगें 

सोमवार, 4 मार्च 2013

समर्पण

मैंने तुम्हारा हाथ माँगा था
तुमने तो दिल ही दे दिया 
मांगी थी थोड़ी सी खुशबु 
तुमने तो पूरा गुल ही दे दिया//

अर्ज किया था, थोड़ी सी रौशनी के लिए
तुमने तो  पूरा चाँद ही दे दिया
मांगी थी मुहब्बत की एक घूंट
तुमने तो पूरा जाम ही पिला दिया /

/

शनिवार, 2 मार्च 2013

तो समझो ! आ गई होली

जब बोले कोई कौआ
कोयल सी मीठी बोली
तो समझो ! आ गई होली

जब आग लगे पुरवाई में
छाये उमंग, बिन खाए गोली
तो समझो ! आ गई होली

जब प्यारी-प्यारी साली
आँखों से मारे गोली
तो समझो ! आ गई होली

जब भैया , भाभी से करते हथरस
और फट जाए उनकी चोली

तो समझो ! आ गई होली

मेरे बारे में