आपके गुलाबी लवों में बड़ा दम है
हंसती कलियाँ भी,इनके आगे कम हैं //
आपकी सुरीली अंखियों की क्या बात है
इनके आगे ,मयखाने की क्या औकात है //
आपकी मुस्कुराहटों पर लिख रहा हूँ किताब
परेशान हूँ मैं , पन्ने लग रहे हैं बे-हिसाब //
आपके उर के फ़राख की चर्चा है महफिल में
थक जाते है मांगते-मांगते नाशाद दिल वाले //
(उर के फ़राख = हृदय की विशालता
नाशाद = बदनसीब )
हंसती कलियाँ भी,इनके आगे कम हैं //
आपकी सुरीली अंखियों की क्या बात है
इनके आगे ,मयखाने की क्या औकात है //
आपकी मुस्कुराहटों पर लिख रहा हूँ किताब
परेशान हूँ मैं , पन्ने लग रहे हैं बे-हिसाब //
आपके उर के फ़राख की चर्चा है महफिल में
थक जाते है मांगते-मांगते नाशाद दिल वाले //
(उर के फ़राख = हृदय की विशालता
नाशाद = बदनसीब )