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शनिवार, 3 नवंबर 2012

तुम केवल ,मेरे मनमीत


हर पत्ते पर नाम लिखूंगा
हर  पंखुड़ी    पर गीत
कोई नहीं और है दूजा
तुम केवल ,मेरे मनमीत //

हर तितली संदेशा भेजे
हवा  तुम्हारी यादों में गाये
ओ मेरी सजनी , जल्दी आ तू
अब समय रहा है रीत //
कोई नहीं और है दूजा
तुम केवल ,मेरे मनमीत //

झरने  की जल सी तू पावन
हो जहां तुम ,वही है सावन
मर चूका मेरे दिल का रावण
 सुन-सुन तेरे आँचल का संगीत
कोई नहीं और है दूजा
तुम केवल ,मेरे मनमीत /

(चित्र मेरी श्रीमती जी नीलू पाण्डेय जी का है )


12 टिप्‍पणियां:

  1. उनका जिक्र,उनकी तम्मना,उनकी याद,
    वक्त कितना कीमती है इन दिनों,,,,,,,,"शकील"

    RECENT POST : समय की पुकार है,

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  2. बहुत ही खूबसूरत लिखे हैं सर!

    सादर

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  3. सुन्दर...बहुत अच्छा लगा नीलू जी से मिलकर. आप दोनों को शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रचना
    क्या कहने
    शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छा लगा नीलू जी से मिलकर. आप दोनों को शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  6. लगता है भाभी जी मायके में हैं...विरह में ही आतंरिक भावों का सृजन होता है...बहुत खूब...

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  7. राम सारस्वत15 जून 2014 को 6:10 am बजे

    प्रियतम ने प्रियतमा को रिजाने के लिए किया प्रयास सुन्दर हे

    जवाब देंहटाएं
  8. राम सारस्वत15 जून 2014 को 6:11 am बजे

    प्रियतम ने प्रियतमा को रिजाने के लिए किया प्रयास सुन्दर हे

    जवाब देंहटाएं
  9. राजीव पांडेय27 जनवरी 2019 को 5:17 am बजे

    बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं

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