followers

रविवार, 30 मई 2010

५० साल बाद मेरे बच्चे मुझे गाली देगें

आज से ५० साल बाद ..
घर के बाहर बैठ कर
एक आदमी
अपने पूर्वजों को ......
गाली दे रहा था

अपने पूर्वजों को कोस रहा था
क्योकि उनलोगों ने
अगर बालिका भूर्ण हत्या पर
कोई रोक लगाईं होती
तो आज मुझे ......
वासना तृप्ति के लिए
सेक्स डौल का सहारा लेना पड़ता

पूर्वजों ने भूमिगत जल का
इतना शोषण किया .... कि
आज मुझे
पीने का पानी बनाने के लिए
घर में रखने पड़ते है ...
हाड्रोजन और ओकैसीजन गैस के सिलेंडर
पापों के द्वारा
समुद्र का जो शोधित पानी ....
मेरे घर तक आता है ....
मैं उसका बिल भर -भर कर
परेशांहो चूका


भूमि का इतना दोहन किया
कि आज मुझे
आयरन , विटामिन और कैल्सियम की
गोंलियो के अतिरिक्त ....
अपनी भूख मिटाने के लिए
खाना पड़ता है .....
कार्बोहईडेरेट , प्रोटीन और फैट की गोलियां

मेरे पूर्वजो ने ....
सब पेड़ काट डाले
वातावरण को इतना प्रदूषित कर दिया
मुझे हर वक़्त लगाना
पड़ता है ......
अपनी नाक में एक
भारी भरकम वायु शोधन यंत्र
उसके पास इतने पैसे नहीं ...कि
शुद्ध हवा लेने के लिए
भारी टैक्स अदा कर सके

अचानक घर से
माँ के चीखने की आवाज़ आयी
वह दौड़ा ...
उसकी माँ मरी पड़ी थी
शायद
रोबोट का गलत बटन दब जाने से
उस मशीन ने माँ की गर्दन दबा दी

क्या हम ....
अपने बाल - बच्चो से
अपने पिंड -दान के बजाय
गाली सुनाने के लिए तैया है

नदी तट पर बैठी एक औरत


नदी तट पर बैठी थी
वह औरत .....
रोज देखती थी ...

उसमे गिरते गंदे नालों को
उसे लगता
मैं भी इसी गन्दी नदी की तरह हू

मानव व्यापार करने वालों ने
धकेल दिया मुझे .....
अँधेरी गलियो में
मैं भी नदी की तरह
कितनों से समागम कर
ढ़ोती हू ...उनकी गंदगी

फिर कुछ दिन बाद
एक बाढ़ आयी ....
नदी साफ़ हो गयी

तट पर बैठी औरत सोच रही थी
क्या मेरी जिन्दगी में भी कभी
इसी तरह कोई बाढ़ आएगी ?

कुत्ता और भेडिया ( एक व्यंग कविता )

चोरी - डकैती की घटनाये
बढ गयी थी ।
लोगों ने सभा बुलाई ....
फैसला लिया गया ...
रखवाली के लिए ...
कुछ कुत्ते और पहरेदार नियुक्त किया जाय ॥
पाच सालो के लिए ॥

पाच साल बाद पुनः
सभा हुई ॥
कुत्ते और पहरेदार के बारे में
खूब चर्चा हुई ....
सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि....
कुत्ते को बदल दिया जाय
भौकता ही नहीं है ....
मगर लोगो का यह निर्णय
गलत हो गया .....
इस बार वाला कुत्ता .....
कुत्ता ही नहीं रहा
वो भेडिया बन गया ॥

(20 साल पहले लिखी गयी मेरी एक रचना )

शनिवार, 29 मई 2010

हंसिकाए (भारत पाकिस्तान संबंधो पर )

कभी खायो आलू का चोखा
कभी बनाओ खिचड़ी ।
बात जितनी चली पाकिस्तान से
उतनी ह़ी बिगड़ी ॥

कभी दौड़ी एक्सप्रेस में ,
कभी पटरी से उतरी
समझोते की गाड़ी।
विदेश नीति के मामले में
हम है अनाड़ी॥

अमरीका ने दी उनको सहायता
उठ जाता है नया सवाल ।
उनको छोड़ो , अपनी देखो
लोग रोज हो रहे हलाल ॥

चीन की शह पर
देते हो रोज नया फरमान ।
आपके हाथ में है बन्दूक
तो क्या मेरे हाथ है तीर -कमान ॥

मित्र की मदद करो (मुहावरे दार कविता )

दांत कटी रोटी
जैसे मित्र हो तुम
जरुरत पर पैसे देकर मदद की ....
अब कन्नी काटते हो
पैसे लेकर ईद के चाँद हो गए हो
दवे पावँ घर आते हो
क्या समझते हो
कानों - कान खबर होगी

पैसा मांगने पर .....
आँखे लाल -पीली करते हो
बन्दर घुरकी देते हो
और अंगूठा दिखाते हो

मैं कान का कच्चा नहीं हू
तुम्हारी बातो से मुझे
दाल में काला लग रहा था
आज तुम्हारी
ईट से ईट बजा दूंगा
अपना सिक्का जमा लूँगा
ढोल पिटूगा दोस्तों के बीच
और तुम्हे ......
चुल्लू भर पानी में डूबने को मजबूर कर दूंगा
हाथ -पावं फूलने लगा क्या
आज मैं तीन-तेरह करके रहूगा
नों - दो- ग्यारह नहीं होने दूंगा
पुलिस आने तक
आज तुमसे पैसा लेकर ....
घी के दिए जलाउंगा
तुम्हारे मित्रो के
घाव पर नमक छिड़क कर
घोडा बेचकर सो जाऊँगा
फिर पैसे उधार देने का मतलव होगा
अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना

कविता पढ़ कर ...
रंग में भंग हो गया क्या ??

शुक्रवार, 28 मई 2010

मन्त्र का रहस्य

ऋग्वेद !!
१०२८ मन्त्र
प्रार्थना मंत्रो का संग्रह
प्राचीनतम धर्मग्रन्थ
रचना -१५०० से ९०० ईसा पूर्व
अनेक देवी -देवतायो का वर्णन

साम वेद: दैनिक पूजा के निमित्त
कुछ ऋगवेदिय मंत्रो का संग्रह
यों समझिये ऋगवेद का छोटा रूप
जुवेद : यग्य को संपन्न कराने का अधिनियम
अर्थव वेद : जादू - टोना के मन्त्र .....
ऋगवेद का एक मन्त्र ......
गायत्री -मंत्र कहते है ...इसे
भूर्भुवः स्वःतत्सवितुवरेनयम
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात
आज भी प्रासंगिक है ...

मन्त्र .....एक वृति
यह वृति रोम -छित्रो को खोलती है
और मन -मस्तिस्क को एकाग्ग्रित करती है ..
इस मन्त्र में सूर्य की प्रार्थना है ....
सूर्य .... सभी उर्जाओ का स्रोत है

आज कल के मन्त्र पर नज़र डाले ....
और किसी को वश में करना हो
मन्त्र मारिये .....
लफफेवाजी का
रुपयों की थैली का
दिखावापन का मन्त्र भी मार सकते है
मगर हां
पैसो के आगे जाती का मन्त्र बेअसर होगा
चुनाव में राजनेता ....
जनता को वश में करने हेतु
मन्त्र मारते है
और सम्मोहित कर लेते है
काम निकालने के लिए
नौकरशाह के प्रति कशीदा गढ़ना भी
मन्त्र से कम नहीं
त्रिया -चरित्र में तो अनेको मन्त्र है .

आज
सभी वेदों के मन्त्र की परिभासा
हमने बदल दी है ...

गुरुवार, 27 मई 2010

"पसीने की बूंदे "

पिता जी !!!
जिन्हें वह बाबूजी कहा कहता था ...
के आकस्मिक निधन की सूचना
मोबाइल पर मिलते ही
वह थोडा विचलित ज़रूर हुआ
मगर ...ऐसा नहीं हुआ
कि आँखों से आंसुओ की धार
रुकी ही नहीं ॥

वह सिर्फ इतना जानता था
पिताजी गरीब किसान थे
किसी तरह पढाया उसे
उसे याद है ....
बचपन में देखी थी उसने
उनके माथे पर आयी ...
पसीने की बूंदें ॥

कैसे आयी ये बुँदे
वह बचपन में समझ नहीं सका
और .....बाद में
उसे समझने की नौबत ही नहीं आयी ॥

मुखाग्नि के बाद ....
पुरोहित द्वारा
गरुड़ पुराण सुनाने की प्रक्रिया
के दौरान
वह बार -बार
पसीने की बूंदों का राज
जानना चाहता था ॥
मगर , पूछे किससे
विधवा माँ ....
आसन्न वैवध्य के असमंजस में
रो -रो कर स्वं जार हो गयी थी ॥
कचोटती रही उसकी आत्मा
इस प्रशन के उत्तर के लिए ॥
दसकर्म और द्वादसा से निपट
लेने के बाद
माँ कुछ शांत नज़र आ रही थी।
पूछ ही लिया माँ से --

सरसों की फसल में
लाही का प्रकोप
आलू की फसल में
झुलसा का प्रकोप
और , मकई की फसल का
बह जाना बाढ़ में
और इनसबके बीच
तुम्हारे भविष्य की चिंता का
अंतर्द्वंद
पसीने की बूंदों में बदल गया था

इन्टरनेट अडिक्ट क्लिनिक

इस कविता की पंक्तियां
हास्य कविता जैसी लगेगी
मगर यह आपकी भूल होगी॥

"सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है "
"एड्स से बचिए "
"कोलेस्ट्रोल --हार्ट -आटैक का कारण"
की तरह .....
एक जुमला एक -दो साल बाद सुर्खियों में होगा
"इन्टरनेट से दूर भागने का शर्तिया इलाज "
चौक गए न आप
"इन्टरनेट अडिक्ट क्लिनिक " खुल चूका है ॥
इस बीमारी के लक्षण ---
बच्चो का दादा -दादी के गोद में
जाने से इंकार करना ॥
माँ -पिता की बातो को अनसुनी बनाना
खेल - कूद न करना
स्कूली बच्चो के बीच न जाना
इन्टरनेट के काल्पनिक दोस्तों से चत्तिंग करना
एक काल्पनिक दुनिया में खो जाना

अगर आपके बच्चे में
ये लक्षण दिखाए दे ....
इन्टरनेट अडिक्ट क्लिनिक में सम्पर्क करे

किस बच्चे पर बीमारी ज्यादा अत्टैक करेगी
वे बच्चे ...
जिनका जन्म दो - तीन कमरे के फ्लैट में हुआ है
जिन्होंने नहीं देखा
समाज क्या होता है
मैं बात कर रहा हु
वैसे बच्चो की
जिन्होंने कभी नहीं खाई
अंकुरे चने और गुड
जो हमेशा डायनिंग टेबल पर ही खाते है
जिनके लिए......
पालथी मारना
एक योग करने जैसा है
जो हमेशा शौपिंग के लिए माल गए
जिनके लिए गाँव जाना ....
एक साहसिक घटना से कम नहीं ।

क्या आप ऐसे जुमले
देखने की चाहत रखते है ??/

बुधवार, 26 मई 2010

"तलाक - शुदा लोगों के प्रति "

शाम ---सुबह होना तय है ॥
रुदन ---हास्य तो होना ही है ॥
धुप ---बहुत जल्द ही बर्षा होगी ॥
पतझर --वसंत को तो आना ही आना है॥
"तलाक "--जीवन में नए रंग भरने की
शुरूआत तो कीजिये ॥
- पहले की यादो को
ओस की बूँद समझिये
जो कब की उड़ चुकी ॥
वो फूल समझिये
जो कब की मुरझा चुकी॥

नयी शुरुयात तो कीजिये !!!!
कपोलें ज़रूर प्रस्फुटित होगी
पंखुड़िया ज़रूर निकलेगी ॥

मंगलवार, 25 मई 2010

पिता -पुत्र : वार्तालाप

विश्व कप होकी में मैच हारने
के बाद ...
बच्चे का प्रशन
पापा !!!
हम क्रिकेट में ही आगे क्यों
आप क्यों नहीं खेलते ...
होकी और फूटबाल॥
तुम क्या खेलते हो पापा !!!


पापा का ज़वाव--
जब मैं बच्चा था
खेला करता था
अपने भाई - बहनों के साथ
चोर - पुलिस का खेल ....
जिसमे हमेशा
पुलिस , चोर पर भारी पड़ती थी
आज भी यही खेलता हू ..मेरे बेटे
मगर अब !!
चोर , पुलिस पर भारी पड़ता है

जब मैं बच्चा था ...
खेलता था कच्ची मिटटी की गोलियों से
आज भी खेलता हू ....
गोलियों से ही ........
मगर वो मिटटी की नहीं होती


जब मैं बच्चा था ..मेरे बेटे !!
हवा वाली बन्दूको से
खेला करता था ...
आज भी खेलता हू....
बन्दूको से ही
मगर वो ए . के .छप्पन होती है
अब तो बेटा .....
बहुत बड़ा खेल खेलता हू
पुल उड़ा देता हू
बस उड़ा देता हू ॥

बच्चा निरुत्तर था ...
उसका अंत मन
अखबारों के समाचारों
और ....
पापा के खेलो का तुलना करता है

फिर प्रशन करता है
क्या आप आतंकबादी हो
क्या आप नक्साल्वादी हो
नहीं बेटा .....
अधिकारों को मांगने वाला
तो फिर सरकार से बात
क्यों नहीं करते ??

जानते हो , पापा !!
बगल वाली आंटी के यहां
आज सब कोई बेल्मुंड(मुंडन कराना) हो रहा है
क्या हो गया है वहां
कोई मर गया होगा !!बेटा

नहीं पापा ,.....
मम्मी कह रही थी
दंतेवाडा में जो बस उडाई गयी थी
उसमे उनके कई लोग मरे है॥


अब !!!!!!!
पापा के सोचने की बारी थी
बोलो पापा बोलो !!
क्या मेरा
स्कुल बस भी
किसी दिन उड़ा दिया जाएगा
और आप भी बेल्मुंड होगे
आप बिना बाल के अच्छे नहीं लगोगे
पापा !!!!!
क्या उसके पापा जैसा ...
आप भी बनाना चाहते है ??

सोमवार, 24 मई 2010

बाघ के प्रति


सिर्फ १४११ बचे हैं !!!
एक विज्ञापन ......
छुपा है ...आने वाली कई कहानियो का राज ॥
कभी जंगलों में जिसका गर्जन
बिजली की चमक जैसे कौंधती थी ॥
वही जंगल का राजा ....
आज मिमियाकर अपना जीवन मांग रहा है ॥

२३ टाइगर रिजर्व के बाद भी ....
क्या हमारे बच्चे ...
बाघ की कहानियां सुनेगे ....
डायनासोर की कहानियो की तरह ॥

इंसान का
बाघ बनकर .....
किसी का गला घोंट देना
सदियों की परम्परा है ॥
पर आज ... सचमुच
बाघ का ही गला घोंट दिया हमने ...

कारण ....
अवैध शिकार ..
फ़ूड चैन में असंतुलन..
जंगलो में उसके आहार में कमी ॥
मैं नहीं जानता...
करोडो खर्च के वावजूद
आखिर ऐसा क्यों ??
क्या वन्य प्रेमियों के
लम्बे लम्बे लेख
एक छलावा था ..............
बाघ बचाने के नाम पर
अब तक हुए प्रयास जनता को
दिग्भ्रमित करने के लिए थे ॥


वेज्ञानिकों ने जब
मानव कोलोन बना ही लिया है ....
तो वे ...क्यों नहीं बना रहे
बाघ का कोलोन ??

बाघ को बचाओ ... मेरे दोस्त !
जब बाघ ही नहीं बचेगा ...तो
उसके जैसा
बनने का दंभ
हम कैसे भरेगे ??

रविवार, 23 मई 2010

एक विधुर का अंतर्द्वंद




कहते है ---
आँखे बोलती हैं ...
उसकी आँखे किसे ढूढती है
मुझे नहीं पता ?

चंडीगढ़ के रौक़ गार्डेन में
नेक चंद की बनी मूर्तियों में
अब उसे कोई आकर्षण नहीं दिखता ॥
खजुराहो और कोणार्क की मंदिरों के
बाहरी दीवालों पर रतिक्रिया में लिप्त
मूर्तियों के बनाये जाने का तर्क
ढूढना चाहता है वह ॥

उसे याद आता है
गुलमर्ग की हसीन वादियां
नर्मदा नदी के धुयाधार घाट पर
गुलाबी संगमरमर के बीच
आलिंगन का आनंदित छन
मौन्ट-आबू का वह झील
जिस पर बोटिंग की थी ...
अपनी चाँद जैसी पत्नी के साथ ॥

क्या पहाड़ सी लम्बी जिन्दगी
सिर्फ उसकी यादो के सहारे कट सकेगी
इस अंतर्द्वंद में वह ...
हर दिन सौ बार जीता / सौ बार मरता
माँ को किचेन में देख
उसे लगता .... एक ही साथ
असंख्य कीलें
ठोक दी गयी हो
उसकी छाती में ॥

बच्चे के रोने की आवाज़ से
उसका अंतरमन
वापस लौटता है ॥

टी ० वी खोलता है ...
हर चैनल पर ....
अधनंगी औरतो का डांस
और कामुक उत्तेजक दृश्य ...
वासना हिलोरे लेने लगती है ॥

नई माँ लाने के बारे में ....
सोचता है ...
बच्चे के लिए और अपनी माँ के लिए भी ॥
मगर अंदर से सिहर जाता है ...
एक लघु -कथा में पढ़ा था उसने
एक सौतेली माँ / बच्चे को हमेशा .....
गोद में रखती थी .....
इसलिए नहीं कि
वह उसे प्यार करती थी .....
बल्कि इसलिए कि
वह उसे लंगड़ा बनाना चाहती थी॥

आंसू की धार निकलती है ...
और वह ...
अपनी माँ की गोद में सिर रख
चीत्कार कर उठता है !!!!

शनिवार, 22 मई 2010

बिहार की सैर पर आइये ना !!

बिहार की सैर पर आइये ...
राजनीती की उर्बर भूमि ....
प्रथम राष्ट्रपति की जन्म - भूमि
बापू की कर्मभूमि ....
कविताओ से आग उगलने वाले
जन वादी कवि बाबा नागार्जुन और
राष्ट्र कवि "रामधारी सिंह दिनकर " की
भूमि का नमन कीजिये ॥

डरिये मत ....
आपके कपड़े गंदे नहीं होगे ...
श्वास की बीमारी भी नहीं होगी ...
कही भी चिमनियो से काला धूआ ...
निकलता ही नहीं ॥
शत-प्रतिशत सुध्ध वायु ...
फेफड़ो तक जाने दीजिये ॥

इस कारण भी मत डरिये कि...
मैं आपसे ....
लिट्टी - चोखा/दही -चुडा या फिर सत्तू ..
खाने की जिद करुगा ॥
मगर लौटते समय ...
दरभंगा का मखाना
और मुज्ज़फरपुर का लीची लेने से इंकार नहीं करेगें ॥


आकर देखिये .....
क्यों भेजे गए ....
यहा के मजदूर
मारीशस/फिजी /और सूरीनाम
कैसे कहर ढाती है ॥
नेपाल के नदियों से
आने वाली अथाह जल -राशि
और देखिये ...
कोसी छेत्र के लोगो की बाढ़ से
जूझने की कला ....
और उनकी जिजीविषा ॥

क्या कहा आपने ?
इन चीजो में आपकी कोई दिलचस्पी नहीं ...
तो सीखिए प्रजातंत्र चलाना ...
लालटेन से कैसे किया जाता है ...
१५ सालो तक शासन ॥
कैसे ढोया जाता है .....
स्कूटर पर भैस
कैसे पिया जाता है अलकतरा
कैसे बेचीं जाती है
एक्सपयारेड दवाये ॥
आइये .....
बिहार पर शोध कीजिये ॥

लोकप्रिय सरकार


क्या आपका ताल्लुक गाँव से है ...
अगर हां.....
पूरी तरह समझ लेगे ...
कविता का मर्म ॥

गरीब लड़का हु ....
उपर से निम्न जाती का ....
सरकार से इंदिरा आवास मिला है ...
अन्नपुर्णा योजना का अनाज
मिलता है प्रति माह ॥
पेंशन के रूपये अलग से ॥
काम ...???
अब काम क्या करना ....
मुफ्त की रोटी तोड़ता हू...
दिन भर तास खेलता हू ...
सच पुछो....
गरीब ही बना रहना चाहता हू ॥

मेरे जितने भी बच्चे हो ॥
मुझे क्या चिंता ?
उनको भी मिलेगा ...
इंदिरा आवास /मुफ्त का राशन और पेंशन ॥

नशे की तरह ....
लत लग गयी है मुझे ...
सरकारी राशन / किरासन लेने की ...

अपने पैरो पर खड़े
होने का तरीका ....
कोई सरकार क्यों नहीं सिखाना चाहती ?

जानता हू ...मैं
किसी भी पार्टी की सरकार आये
ये सुबिधाये जारी रहेगी ...
एक " लोकप्रिय सरकार " देने
का वायदा जो किया हैं

!!एक अर्थशास्त्री की नज़र में गंगा !!

मुझे पौराणिक कथाओ से...
कोई मतलब नहीं ... कि
तुम्हारा उद्गम स्रोत क्या है ?
राजा भागीरथ का प्रयास ...या फिर
शंकर जी का जटा ।

मुझे पता है ....
गंगोत्री ग्लासिएर की वर्फ
पिघलने से निकलती हो तुम ॥

तुम एक पवित्र नदी हो ....
इसका आभास होता है .....
कुम्भ मेले में लगी भीड़ को देख कर ...
और तुम्हारे तटों पर होते....
दाह -संस्कार को देखकर ॥


मैं एक अर्थ शास्त्री हू...
देश का जी डी पी बढ़ाना है मुझे ...
क्या गलत किया मैंने ...??
टिहरी में एक बाँध बनाकर ....
बिजली की ज़रूरतों को पूरा करना है .मुझे ....
प्रयावरन विद हल्ला मचाते है .. तो मचाये

आपका प्रवाह रुका है....
मुझे चिंता है ....इसलिए नहीं.....कि
श्रधालुओ को ......
गंगा जल लेने में दिक्कत हो रही है ...
.बल्कि इसलिए कि ...
जल मार्ग से होने वाली ढुलाई का ग्रोथ ...
रुक गया है ॥
नदियों को जोड़ने की योजना
अंतिम चरण में है ....
आपका प्रवाह भी बढेगा और
बाद से राहत भी मिलेगी ॥

वैसे जल -जीवो को बचाने के लिए
पानी शुद्ध होना ज़रूरी है ॥
मैं काम कर रहा हू ....
सीवेज ट्रीटमेंट का .....
कोई भी फैक्ट्री का गन्दा पानी साफ़ कर
आपके जल में मिलाया जायेगा ॥
विद्युत् शवदाह गृह बना दिया है मैंने॥
लोग कहते है .... आप माँ है ...
और मैं जनता हू .... माँ देती है ।
...................................लेती नहीं ॥

शुक्रवार, 21 मई 2010

पेंटिंग








अगर आप ....
हाथो में बनी लकीरों के फकीर है ...तो
यह कविता आपके लिए नहीं है

जिन्दगी !!!!!!
एक कोरा कागज है ... मेरे दोस्त !
मिटा सकतो हो .....
इस पर लिखी पहले की बातें ....
बिना किसी रबड़ के
पुनः जब चाहो ....
नया लिख सकते हो

मेरी बातों में विश्वास हो तो ...
पढ़ लो ....
"अंगुली मॉल'' के बारे में ... जो डकेत से
वाल्मीकि ऋषि बन गए
वासना के प्रेम में पागल ......
उस लड़के के बारे में भी पढो
जो तुलसी दास बन गए

जब विस्वास जम जाए ...
जिन्दगी के कोरे कागज में
एक खूबसूरत पेंटिंग बनाओ ...

जिन्दगी .....
कोई .शराब की घूट नहीं ...
जिसे फ़ेंक दो ... या पीओ
मेरे दोस्त !!! इसे जियो
जीने का नाम ही जिन्दगी है

अपहरण के बाद

ट्रेन के टाइम से न लौटू ... तब
मेरे मोबाइल पर कॉल करो ....बंद मिले
ऑफिस में फ़ोन करो .....
मेरे बॉस को फ़ोन करो ....
रेलवे इन्कुँरी में फ़ोन करो ...
पता न चले ...तो समझो ...
मेरा अपहरण हो गया है ।
क्योकि तुम जानते हो .....
मैं ऑफिस से सीधे घर आता हु ॥

१०० पर डायल करो ....
अख़बार वाले को फ़ोन करो ....
टीवी चैनल वाले को फ़ोन करो ...
मोहल्ले के नौजवानों के पास जाओ ॥

अहले सुबह -- मेंन रोड पर ...
जलते टायर रख कर जाम कर दो ...
खूब हल्ला मचाओ ...
मेरे अपहरण को अख़बार की सुर्खी बना दो ...
विपक्ष के नेताओं से मिलो ...
विधान सभा में हंगामा करवाने का प्रयास करो ...
मेरे बिभाग के कर्मचारियों से मिलाकर ....
उनसे मेरे सकुशल लौटने तक ॥
हरताल करने के कहो ...
महिला संघ के सदस्यों के साथ ...
राज्यपाल से मिलो .....
दुसरे सुबह ...अख़बार की कतरनों को
प्रधान मंत्री के पास भेज दो ...

पर सुनो ॥
अपहर्ता के टेलीफ़ोन का इंतजार करते रहो ...
उनसे वार्ता जारी रखो ....
अपनी औकात के मुताबिक कितना लेंगे ....
इसकी बात करते रहो .....
अपहर्ता से हो रही वार्तालाप पुलिस को मत बताओ .....

मुझे आशा है ....
मैं सकुशल लौट जाउगा...
लौटने पर .....
मैं सब अख़बार वालो से कह दूंगा....
मुझे पुलिस ने ही मुक्त कराया है ॥

गुरुवार, 20 मई 2010

अलाव

कभी -कभी...
असमंजस में फंस जाता हुं!
क्या यह सही है ?
जो लिखते हैं ..वही दुसरे की पढते है ॥
और .. जो पढते हैं , वही लिखते है
जिन पर लिखा जाता है ...
क्या वे कभी पढ़ते है॥?
अगर पढ़ते भी हैं ....तो
क्या उनमे गन्दी मानसिकता का जीवाणु
इस कदर बैठा है ... कि॥
कहानी का टैबलेट
ग़ज़ल का कैप्सूल
और ......
कविता का एंटीबायोटिक ॥
असर नहीं करता ....

आओ ! मेरे दोस्त !!!
हर गाँव में .....
शहर क़ी चौक -चौराहो पर ...
एक " अलाव" जलाये
जिसमे सब साथ बैठेगे ॥
मां भी /बेटी भी...
विधवा भी /सुहागन भी ...
डॉक्टर भी / नर्से भी ...
मजदूर भी / नेता भी ...
जहां सब मिल चर्चा करेगे ..कि॥
क्यों नहीं डालती असर ॥
सरकारी कानून हम सब पर ॥
कुछ ऐसी भी बातें करेगे ...कि
भविष्य में...
किसी कवि को न लिखनी पड़े कविता ....
भूर्ण हत्या /सामाजिक रुढियो /दहेज़ /जाती-पाती पर
और साथ बैठ कर खा लेगें ...
सांझे चूल्हे की रोटिया ॥
और सरसों की साग ...

आज जलाई थी ...
मैंने एक अलाव ॥
अपने मोहल्ले में ॥
सबने एक फैसला लिया है ॥
अपने अंदर के '' अलाव " को जलाने की ॥
इस पर हम सब कायम रहेगें .

बुधवार, 19 मई 2010

६ हसिकाए

पानी पियो खूब,... मगर नल को खुला छोड़ दो
दोस्ती निभाने का वक़्त आए , तो मुह मोड़ दो .

सर्ब शिछा अभियान की बिक रही
पुस्तके कबाड़ में।
सरकारी शिछा भांड में ॥

खाना पकाओ कुकर प्रेशर में ...
नहीं तो रस निकल जायेगा माड़ में ।

खेलो - कूदो खूब , आज है सन्डे ॥
रोज खाओ दो अंडे ॥

बिजली की मत पूछो, घर -घर की यह रानी
आना -जाना ही है इसकी कहानी ॥

प्यार दो , प्यार लो , जब तक ये जग है
मांग लो सब कुछ , जब तक ये रुब है ॥
३ हंसिकाए
(१)
मेरी कविताये पढने के बाद
एक पाठक की प्रतिक्रिया थी --
मैं बन गया हू --आपका फैन
मुझे ऐसा लगा -- मानो मैं
आम आदमी से बन गया जेनटल मैंन
या फिर चिराग से --लालटेन
(२)
एक लड़की का मेसेज था ॥
क्या कविता लिखते हो ॥
क्या हो तुम कुवारे ॥
तुमसे मिलने को ॥
नैन हुए बाबरे...
(३)
एक दूसरी प्रतिक्रिया थी ॥
कविता कैसे लिखते हो
भाव कैसे आते हैं तुम्हारे अंदर
तुम्हारी कविता ..
बहुत सुन्दर -बहुत सुंदर

मेरे बारे में