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शुक्रवार, 21 मई 2010

अपहरण के बाद

ट्रेन के टाइम से न लौटू ... तब
मेरे मोबाइल पर कॉल करो ....बंद मिले
ऑफिस में फ़ोन करो .....
मेरे बॉस को फ़ोन करो ....
रेलवे इन्कुँरी में फ़ोन करो ...
पता न चले ...तो समझो ...
मेरा अपहरण हो गया है ।
क्योकि तुम जानते हो .....
मैं ऑफिस से सीधे घर आता हु ॥

१०० पर डायल करो ....
अख़बार वाले को फ़ोन करो ....
टीवी चैनल वाले को फ़ोन करो ...
मोहल्ले के नौजवानों के पास जाओ ॥

अहले सुबह -- मेंन रोड पर ...
जलते टायर रख कर जाम कर दो ...
खूब हल्ला मचाओ ...
मेरे अपहरण को अख़बार की सुर्खी बना दो ...
विपक्ष के नेताओं से मिलो ...
विधान सभा में हंगामा करवाने का प्रयास करो ...
मेरे बिभाग के कर्मचारियों से मिलाकर ....
उनसे मेरे सकुशल लौटने तक ॥
हरताल करने के कहो ...
महिला संघ के सदस्यों के साथ ...
राज्यपाल से मिलो .....
दुसरे सुबह ...अख़बार की कतरनों को
प्रधान मंत्री के पास भेज दो ...

पर सुनो ॥
अपहर्ता के टेलीफ़ोन का इंतजार करते रहो ...
उनसे वार्ता जारी रखो ....
अपनी औकात के मुताबिक कितना लेंगे ....
इसकी बात करते रहो .....
अपहर्ता से हो रही वार्तालाप पुलिस को मत बताओ .....

मुझे आशा है ....
मैं सकुशल लौट जाउगा...
लौटने पर .....
मैं सब अख़बार वालो से कह दूंगा....
मुझे पुलिस ने ही मुक्त कराया है ॥

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