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मंगलवार, 27 मई 2014

तुम हो अंग्रेजी अखबार //

तुम हो  अंग्रेजी  अखबार
करती हो अँखियों से बार //

जब कोई आता मेहमान
नहीं पूछती चाय-पान
तेरे ओठों की बड़-बड़ से
दिल हो जाता तार-तार
तुम हो अंग्रेजी  अखबार //

आता है जब  भाई तेरा
हर थकावट होती छू-मंतर
सब्जी चार पकाकर तुम
रोटी पर घी लगाती बार-बार
तुम हो अंग्रेजी अखबार //

शुक्रवार, 23 मई 2014

कब आएगी खुशबू इन मकानों से

कोई खुशबु नहीं होती...
सीमेंट में
बालू में
बजरी में
और लोहे की सरियों में
मगर...
जब सब मिलते है तो
बनता है मकान //

मकान.... 
भींगने  से बचने के लिए नहीं है...
मकान....
तलाक के कागज पर दस्खत करने की जगह नहीं है 
मकान ....
दुश्मन को परास्त करने का प्लान बनाने की जगह भी नहीं ..

मकान  तो एक गर्भ है..
जहां ..
प्रेम और प्यार का बीज पनपता है ..//

और जब... 
यह पनपता है..
तो आने   लगती  है खुशबु  मकान से     

गुरुवार, 8 मई 2014

मौसम आज रूमानी है...



नभ से टपकता पानी है
मौसम आज रूमानी है...

तरु के पत्तों ने गाया कलरव
हरीतिमा का रंग लेकर
नभचर प्रचोदित हो गए
श्वेत बादलों का पंख लेकर
देह चुप है, पर दिल करता शैतानी है ..
मौसम आज रूमानी है... 

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