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हर जगह आग है, शोला है, कही प्यार नहीं है
सकून दे सके आपको,ऐसी कोई वयार नहीं है //
कितना संभल कर चलेंगे आप,अब गुल में
हर पेड़ अब खार है,कोई कचनार नहीं है //
हंसी मिलती है,अब सिर्फ तिजारत की बातों में
रिश्तों का महल बनाने, अब कोई तैयार नहीं है //
अश्क पोछना होगा अब आपको,अपने ही रुमाल से
पोछ दे आपका अश्क,अब ऐसा कोई फनकार नहीं है //
माँ ! लिखना भूल गई है अब मेरी कलम
शायद ,बेटे को अब माँ की दरकार नहीं है //
जी भर लूटो ,खाओ , इस हिन्दुस्तान मेरे दोस्त !!
मेरी कलम,अब कलम है ,कोई तलवार नहीं है //