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बुधवार, 29 जून 2011

सब्जी वाली हसीना


मूली से उजली देह तुम्हारी
होट हैं मानो, जैसे चुकंदर
काली मिर्च से काले केश
मुस्काती तुम अंदर ही अंदर //
बोली तेरी लाल मिरचाई
तेरा आलू सा मुस्काना
फूलगोभी सी हंसी तुम्हारी
सांसे तेरी हरी पुदीना //

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर..सब्जी लेने के लिये मंडी में जाने की ज़रूरत नहीं..

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  2. ओह सब्जी वाली को भी ना छोड़ा ..सब्जी बना के रख दिया उस बेचारी को ..:))

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  3. आप का बलाँग मूझे पढ कर आच्चछा लगा , मैं बी एक बलाँग खोली हू
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

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  4. फूलगोभी सी हंसी तुम्हारी


    waah kya baat hai /

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