सागर में तूफ़ान आया नदी में उफान लाया क्रोधित हुआ जब भी बादल नभ में विद्युत का कौंध लाया क्रुद्ध धरा ने तज दिया जीवन क्रुद्ध पवन तो ध्वस्त हुआ सब विहग रुष्ट तो तज दे भोजन मानव रुष्ट तो तहस-नहस सब क्रोध जवाल की ज्वाला में हुए होम सब अवनि अम्बर बस एक तत्व धरती पर ऐसा ना हो विचलित ध्रुव तारे जैसा हँसता है वह हर परिस्थिति में देता सौरभ विषम स्थिति में भेद समझ ना पाया मानस उठे ज्वार जब उसके अंतस कैसे कर पाता है वश में कैसे हँसता है हर पल में नाजुक तन है नाजुक मन है हँसना ही है काम निरंतर झर जाता है पांखुर पांखुर क्रोध अगर छू ले तनिक भर
वाह क्या खूब कहा है।
जवाब देंहटाएंbahut hi khoob..
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......
जवाब देंहटाएंफूलों ने लुभाना सीखा है.
जवाब देंहटाएंvery nice post chhotawriters.blogspot.com
जवाब देंहटाएंvery nice post chhotawriters.blogspot.com
जवाब देंहटाएंbahut acchi kavita
जवाब देंहटाएंaapne toh gagar me sagar bhar diya hai
"samrat bundelkhand"
मुस्कुराते है फूल क्यों
जवाब देंहटाएंसागर में तूफ़ान आया
नदी में उफान लाया
क्रोधित हुआ जब भी बादल
नभ में विद्युत का कौंध लाया
क्रुद्ध धरा ने तज दिया जीवन
क्रुद्ध पवन तो ध्वस्त हुआ सब
विहग रुष्ट तो तज दे भोजन
मानव रुष्ट तो तहस-नहस सब
क्रोध जवाल की ज्वाला में
हुए होम सब अवनि अम्बर
बस एक तत्व धरती पर ऐसा
ना हो विचलित ध्रुव तारे जैसा
हँसता है वह हर परिस्थिति में
देता सौरभ विषम स्थिति में
भेद समझ ना पाया मानस
उठे ज्वार जब उसके अंतस
कैसे कर पाता है वश में
कैसे हँसता है हर पल में
नाजुक तन है नाजुक मन है
हँसना ही है काम निरंतर
झर जाता है पांखुर पांखुर
क्रोध अगर छू ले तनिक भर
जी हाँ प्रत्येक के अलग-अलग अंदाज है अपने भावों को प्रकट करने का. सुन्दर रचना.
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