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रविवार, 28 जुलाई 2013

क्यों करेगी दोस्ती, नदी हमसे

गज़ब संयोग है
आदमी और नदी का ....
नदी जब प्रसन्न  होती है
आदमी निराश होने लगता है ...
क्या पता...
क्या होगा ....
घर बहा ले जायेगी
या फिर खेत
नदी हमसे मुहब्बत नहीं करती
क्योकि बना ली हमने
अपने घर ... उसके रास्ते में
नदी को बाँध दिया है हमने
नदी के जीवों को
मार दिया हमने
क्यों करेगी दोस्ती, नदी हमसे

शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

प्यार की गोली (हसिकाएं)

(१)
मैं तुम्हें पसंद
तुम मुझे
खयालात दोनों के
अब मिलने लगे गले
अरे ! हटो ..
मुझे  तो इश्क होने लगा

(२)
लव की पोटली से
एक गोली खाकर
वह लगा डकरने
आओ ! सनम
नहीं तो , मैं चला मरने ...

मीठा पुलाव और सोया बरी

कल तक माँ
घर के
मिटटी के चूल्हे
बुझा देती थी पानी के छींटे मारकर
आज ये खुद भुझ गए  है
माँ की  अविरल आंसुओं से //

दादा के कन्धों पर चढ़कर
दहाड़ मारता था जो पोता
वह कन्धा अब टूट चूका है
"मेरी लाठी था रे तू !
क्यों टूट गया "
चीख रहा है दादा

बच्चे कहते है
बेहतर है
माँ की सुखी रोटी और प्याज
मीठे पुलाव और सोया-बरी की सब्जी से //
( बिकार के छपरा जिले में १६-७-१३ को मिड दे मिल
खाने से २४ बच्चो की मृतुयु के बाद लिखी गयी पोस्ट )

सोमवार, 8 जुलाई 2013

मुनादी ..

नाबालिक बच्ची है
उम्र कोई १५ साल
जींस और टॉप पहने
रंग गोरी ,चेहरा गोल है
बाल कंधे तक
बांगला खूब बोलती है
हिंदी/इंग्लिश समझती है
लापता है ...

अरे ! काम की बात बताना
भूल ही गया
नाचती और गाती है
ओर्केस्ट्रा में काम करती है ...
कैसे भेज देती है एक माँ
उसे बिहार .... मात्र एक कागज पर
ले जानेवाले से दस्खत करा कर //

उसे क्या पता था
ओर्केस्ट्रा वाला धकेल देगा
किसी गैर मर्द के साथ ,सोने के लिए
खैर ... किसी तरह भाग निकली है
तब से लापता है ..

आपके पास कोई
नाबालिक बच्ची तो नहीं लाई गयी...

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

गलतियां

खूब मन लगता था
बचपन में
गलतियां खोजने में
एक ही तरह दिख रहे
दो चित्रों के बीच

आदत वहीँ से बन गयी
अब तो
गलतियां -ही गलतियां
अवगुण ही अवगुण
झट खोज बैठता हूँ ..
हर इंसान में //

मेरे बारे में