गज़ब संयोग है
आदमी और नदी का ....
नदी जब प्रसन्न होती है
आदमी निराश होने लगता है ...
क्या पता...
क्या होगा ....
घर बहा ले जायेगी
या फिर खेत
नदी हमसे मुहब्बत नहीं करती
क्योकि बना ली हमने
अपने घर ... उसके रास्ते में
नदी को बाँध दिया है हमने
नदी के जीवों को
मार दिया हमने
क्यों करेगी दोस्ती, नदी हमसे
आदमी और नदी का ....
नदी जब प्रसन्न होती है
आदमी निराश होने लगता है ...
क्या पता...
क्या होगा ....
घर बहा ले जायेगी
या फिर खेत
नदी हमसे मुहब्बत नहीं करती
क्योकि बना ली हमने
अपने घर ... उसके रास्ते में
नदी को बाँध दिया है हमने
नदी के जीवों को
मार दिया हमने
क्यों करेगी दोस्ती, नदी हमसे
बहुत खूब सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: तेरी याद आ गई ...
आभार धीरेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंआपने सच कहा हमारा व्यवहार प्रतिकूल होता चला जा रहा है
जवाब देंहटाएंआभार रामाकांत सिंह जी
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