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सोमवार, 29 सितंबर 2014

शब्द



लाखों करोड़ों शब्द है
कुछ नफरत के
कुछ प्यार के
तो कुछ मनुहार के भी
नफरत के शब्द सजा दो
तो गाली
प्यार के शब्द सजा दो
तो मोहब्बत हो जाता है
कुछ शब्द झूठ के भी है
तो कुछ शान्ति वार्ता के भी
कुछ शब्द आदर के है
तो कुछ अनादर के भी
शब्दों को सजाने की कला ने
कभी किसी को कवि बनाया
तो किसी को झूठा
शब्दों की सजावट ने
कभी क्रांति की बिगुल फूकी
तो कभी शान्ति की पहल की
आईए....
हम शब्दों se  ईश्क  करे

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