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मंगलवार, 5 नवंबर 2013

पडोसी

मेरे पड़ोसी ने
अपने घर की चारदीवारी ऊँची कर ली है ..
नहीं-नहीं
कोई झगड़ा नहीं हुआ उनसे
शायद कुछ बात ऐसी है
जो हमें दिखाना नहीं चाहते //

कल छापा पड़ा था इनके घर
शक हो सकता हैं उन्हें
शायद मैंने ही इत्तिला दी होगी
विजिलेंस को //

दिमाग पर जोर डालता हूँ ..
शुरू-शुरू में कुछ झगड़ा हुआ था
नाले की पानी निकालने को लेकर
और इस बात पर भी
क्यों कर दिया
उन्होंने लाउडस्पीकर का मुंह मेरे घर की तरफ //


सच कहूं ..
पहले पडोसी रिश्तेदार से बढ़ कर लगते थे
मगर
सबसे नजदीकी दुश्मन //

10 टिप्‍पणियां:

  1. यही इस दौर की दास्ताँ है सिर्फ बदलाव नहीं पडोसी पडोसी को खाता है खुन्नस रखता है डरता है .

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  2. आज सब सम्बन्ध बदल रहे हैं..बहुत सुन्दर...छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!

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  3. सही कहा आपने बदलाव का असर सम्बन्धों पर भी पड़ा है...

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  4. नई-पुरानी हलचल में मेरी कविता का लिंक देने हेतु बहुत-बहुत आभार यशवंत भाई

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  5. आजकल ऐसा हो ही गया है, शायद चाटुकारों से घिरने से या फिर ज्यादा धन आने से कुछ लोग मुर्ख भी जल्दी ही बन जाते हैं, और जो भी नजर में आता है सबसे घृणा या फिर दुश्मनी करते हैं |

    अच्छी सामायिक रचना|

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  6. दो दोस्तों को अगर दुश्मन बनाना हो तो उन्हें पडोसी बना दो...

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