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शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

ईश्वर व्यापारी नहीं है ///


आदमी ने बनाया
बहुत सारे निर्जीव यन्त्रं
फिर खोल दी दूकान
उनके कल-पुर्जों की //

ईश्वर ने बनाया
अनेकों जीव
मगर नहीं खोली दूकान
फेफड़ा ,गुर्दा और लीवर बेचने की //

यदि ईश्वर व्यापारी होता
खूब चलती उनकी दूकान
अगर ! वह टूरिस्ट आपरेटर होता
जीते जी स्वर्ग दिखाने का
फंडा हीट कर जाता //

अगर अफ़सोस !
ईश्वर व्यापारी नहीं है //

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