
पंडित ने कहा
आप पर शनि की साढ़े सती है
काले घोड़े की नाल की अंगूठी पहने
वास्तु दोष है
काला कुत्ता घर में रखे
काली गाय को रोटी खिलाएं //
साधक ने कहा
मुझे तंत्र-मन्त्र करना है
काली बिल्ली चाहिए //
"माँ काली " भी तो काली ही हैं
और शंकर जी और कृष्ण जी भी
पर मैं ....
काली बीबी क्यों लाऊ //
बहोत सुन्दर कविता कु प्रथा पर अच्छा आघात | यह सवाल मेरे मन में बचपन से है के यहाँ पर शांति या अनुष्ठान करसे के लाखो मिल दूर ग्रह कैसे शांत हो जाएगा
जवाब देंहटाएंकविता बहोत ही बेहतरीन है | हार्दिक अभिनन्दन
जय श्रीराम
kaya bat kahi hai babben bhai admi ki khwaishe rookti hi nahi hai
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवारीय चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत पोस्ट, बधाई.
जवाब देंहटाएंअंधविश्वास पर अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबबन जी,..
जवाब देंहटाएंअन्धविश्वाश पर व्यंग करती सुंदर रचना,...
सटीक व्यंग्य ,लेकिन कुछ पंक्तियाँ और बढाई जा सकतीं थीं ।
जवाब देंहटाएं..खूबसूरत शब्द संयोजन...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत,अच्छी प्रस्तुति.........!!
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDER PRASTUTI
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