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शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

प्यार एक चुम्बक है


प्यार एक चुम्बक है
मेरे दोस्त !!!
लोहे के चुम्बक से अलग ॥

हर दिल के
एक कोने में पड़ा रहता है
प्यार का चुम्बक
जैसे कोई सुसुप्त ज्वालामुखी ॥
जब जागता है
खीच लेता है
मिटटी के तन को
और उड़नेवाले मन को ॥

अगर काम न कर रहा हो
प्यार का चुम्बक
बढ़ाना चाहते हो इसकी/ चुम्बकीय शक्ति
तो इसे रगड़ो
मुहँ के मीठे बोल से
परोपकार के ढोल से॥

12 टिप्‍पणियां:

  1. खीच लेता है
    मिटटी के तन को



    सुंदर अभिव्यक्ति.......

    बबन जी...बढिया लिखा है आपने.

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  2. शुक्रिया दीपक बाबा ..पढ़ते रहिये /लिखते रहिये

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  3. अच्छे भाव हैं.
    बढ़ाना चाहते हो इसकी/ चुम्बकीय शक्ति
    तो इसे रगड़ो
    मुहँ के मीठे बोल से
    परोपकार के ढोल से॥
    - विजय

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  4. आज के समय में यही प्यार का चुम्बक हम सभी को एक दुसरे के और भी करीब ला सकता है. बबन भाई बहुत सुंदरा विचार व्यक्ति किये हैं आपने इस कविता में.

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  5. वाह बबन भाई, अगले पायदान पर पहुँची आप की रचनात्मकता को सलाम:-

    तो इसे रगड़ो
    मुहँ के मीठे बोल से
    परोपकार के ढोल से॥

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  6. बहुत सुंदर रचना, आप सब को नवरात्रो की शुभकामनायें,

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़ाना चाहते हो इसकी/ चुम्बकीय शक्ति
    तो इसे रगड़ो
    मुहँ के मीठे बोल से
    परोपकार के ढोल से॥

    सटीक प्रस्तुति

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  8. एक कोने में पड़ा रहता है
    प्यार का चुम्बक
    जैसे कोई सुसुप्त ज्वालामुखी ॥
    जब जागता है
    खीच लेता है
    मिटटी के तन को
    और उड़नेवाले मन को ॥...thanx sir ji...aisi kavita na kabhi padhi na jaati..thank u so much

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  9. Yeh ajgar aap sochte hai utna samazdar nahi.Samzane se shaayad ulta chor kotwal ko dante.Aise bhi Sarkar jo kaam karna hai aur jo samaj me karna hai woh karti nahi.Agar school me hi iske baare me bachchoko thik se samzaya jaye to result mil sakta hai.

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