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बुधवार, 12 जनवरी 2011

आधुनिक सोच

दादा जी /पापा जी /माता जी
मुझे गर्व पर है आप पर
किसी घोटाले में
नाम नहीं आपका
मगर मै
आप लोगों के द्वारा बनाए
सत्य के मार्ग पर नहीं चलूँगा //

मैंने पढ़ा है पापा
अगर हाथो में हो
मख्खनदार बिस्कुट
तो नहीं भौकते
रास्ते के कुत्ते //

गुस्ताखी माफ़ पापा !
जिस सत्य के कांटे को दिखाकर
डराते थे मुझे बचपन में
बड़ा होने पर
मैंने उसे भोथरा पाया
सॉरी पापा !
मुझे आदमी नहीं
अमीर बनना है //

28 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे आदमी नहीं अमीर बनना है!..सही कहा आपने आजकल आदमी की पहचान भी तो अमीरी से ही होती है, फिर क्यों नही अपने दादाजी और पापाजी के सिद्दान्तो से अलग आधुनिकता को अपनाया जाय, आखीर वो भी तो यही चाहते थे कि बेटा बड़ा होकर बड़ा आदमी बने !

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  2. एक कटु सत्य की बहुत सटीक प्रस्तुति..

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  3. यही है वर्तमान , सही प्रस्तुति

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  4. Jab kovve moti khate hon aur hans dana-dunka chun raha ho, to nai pidhi kya sikh legi aur unhein dosh kyon. Yatha raja tatha praja. Aazadi ki ladaai ke waqt jo adarsh unke saamne unke netaon ne rakkhe the unpar wo khud bhi amal karte the aur aaj ke neta kahte kuchh hain karte kuchh hain...

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  5. Vartamaan mein siddhanton aur sanskriti ki baat karna bemani hai! Ab to yatha raja yatha praja wali baat hai. Jaise ki kaha bhi hai....While in rome.....Do as the the romans do...........Bahut hi saarthak aur vastavik prastuti......Badhai ho...Baban ji

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  6. आज की हकीकत बंया करते भाव..

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  7. सुन्दर रचना है!
    लोहड़ी और उत्तरायणी की सभी को शुभकामनाएँ!

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  8. आज की आधुनिक सोच कटु सत्य
    आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

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  9. मुझे आदमी बनना है .........
    एक बड़ी संख्या me युवा पीढ़ी के सोच को दर्शाती बहुत ही सुन्दर रचना....भाई जी....

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  10. यह भाग्यवान है जो सोच के अनिर्णय से पार हो गया। एक हम हैं जो अनिश्चित हैं पर आदत के तौर पर मूल्यों को लिये जा रहे हैं!

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  11. बहुत कम लोग हैं जो सच्चाई को कह पातें हैं और सह पातें हैं !

    निशब्द !

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  12. adhunik soch lekin barm ki jhooothi dunia ...satya yeh nahi hai ,satya kya hai kisi ko dikh nahi raha,jabki vo samne hai kyonki apni anteratma ki ankho ko khtam kar chuke hain hum !!!!!!!

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  13. कितना कडुआ सच लिखा है आपने. अब युवाओं की सोच शायद ये ही बनती जा रही है. या तो हमने खुद ऐसा कर बच्चों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है या उनके ईमानदार माता- पिता के हश्र ने उन्हें ऐसा सोचने को मजबूर किया है. परन्तु , वह यह रास्ता न चुने, ऐसा प्रयास करना अभी हमारी ज़िम्मेदारी है.

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  14. ...........और इमानदार नहीं समझदार बनना है....!

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  15. ना बीबी ना बच्चा, ना बाप बड़ा ना मैया
    The whole think is that कि भैया सबसे बड़ा रुपैया
    बबन पाण्डेय जी, आज हम सरस्वती के लिए बच्चो को नहीं पढ़ाते है, बल्कि लक्ष्मी के लिए पढ़ाते है .

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  16. --क्या बात है ...सुन्दर ...

    मुझे आदमी नहीं
    अमीर बनना है

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