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रविवार, 7 अगस्त 2011

दिल पे मत ले यार


( आई आई टी नई दिल्ली के एक छात्र दिनेश अहलावत के रैंगिंग के कारण आत्महत्या करने के बाद )


उन्होंने
तुम्हारी चड्ढी क्या खुलबाई
तुम्हारे नितम्बों पर मुहर क्या लगाई
रोने लगे तुम ...
दिल पे मत ले यार //

हम सब नंगे आये हैं
नंगे हैं
और नंगे जायेगे //

अरे यार ...
लड़कियों को देखो
मर्दों से ज्यादा बोल्ड हैं
शौक से कहती हैं ....
बाड़ी हैं तो दिखाउंगी ही //

तुम क्या सोचते हो
रंगीन कपडे और टाई लगाकर
एक आदमी
अपने नंगई को ढक सकता है क्या ?

12 टिप्‍पणियां:

  1. Raging jis terike se li jati hai wo galat hai, lekin yahi agr normal tarike se dostipuran tarike se ki jaye to thik hai.......
    Jai hind jai bharat Raging jis terike se li jati hai wo galat hai, lekin yahi agr normal tarike se dostipuran tarike se ki jaye to thik hai.......
    Jai hind jai bharat

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  2. raging ko introduction ka naam dekar manmaani ki jaati hai.har cheej ki ek seema hoti hai.svasth vatavaran me sahi tareeke se intro ho to behtar hai.

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  3. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 08-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ

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  4. reging aaj bhi ptaaa nahi kitane student ki jaan le rahi hai,usko ujaagar karati hui achcha byang karati hui shaandaar post,badhaai aapko.

    "ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
    ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।

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  5. उम्दा सोच
    भावमय करते शब्‍दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।

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  6. फ्रेंडशिप डे ' की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ ..... |

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  7. तुम क्या सोच्ते हो रंगीन कपड़े पहन टाई लगा कर कोई
    अपनी नंगई को ढ्क सकता है क्या। फिलसफ़ी से युक्त बेहतरीन रचना।

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  8. एक संवेदनशील कविता बबन भाई
    बहुत बहुत बधाई
    कभी मेरे ब्लॉग पर भी तो आइए...

    आकर्षण

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  9. प्रिय बंधुवर बब्बन पांडे जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    गंभीर विषय को ले'कर लिखी गई गम्भीर रचना है …

    लड़कियों को देखो
    मर्दों से ज्यादा बोल्ड हैं
    शौक से कहती हैं ....
    बॉडी हैं तो दिखाउंगी ही


    अफ़सोस ! बेशर्म जीते हैं , शर्म वालों को मरना पड़ता है …

    दिनेश अहलावत को श्रद्धांजलि अर्पित है …


    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. Reading this kind of article is worthy .It was easy to understand and well presented.


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