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गुरुवार, 24 जून 2010

एक मृत लड़की की चिट्टी

मेरे पापा ने
माँ का गर्भ जांच कराया
सांप सूंघ गया उन्हें
शुक्र हो डाक्टर का
उन्होंने कहा ...
"एक ही बार माँ बन सकती है
आपकी पत्नी "
भूर्ण -हत्या से बच गयी मैं ॥

मेरी माँ ने
सिल्क साडी पहननी छोड़ दी
शौक -मौज फुर्र्र
मेरे विवाह की चिंता में
जन्म से ही ॥

पढाई के दौरान
प्यार हो गया एक लड़के से
शादी का लालच दिया उसने
माँ -पिता को खेत न बेचना पड़े
दहेज़ के लिए
यह सोच , भाग गयी उसके साथ ॥

वापस लौटी
मैं लुट चुकी थी
खूब जग -हँसाई हुई
पंखे में फन्दा डाल
मैं झूल गयी ....
मगर , माँ ने बचा लिया ॥

मेरी विवाह हुई
अपरिचित की दुनियां पहुंची
मेरा पति
रात को विछावन पर
मिट्ठी -मिट्ठी बातें करता
सुबह बदल जाता ॥
मांग क्या भरी
रूपये की रोज मांग होती
माँ -बाप को बुरा -भला कहते ॥

बेटी परायी होती है
बचपन से सुनती थी
कही भाग भी नहीं सकती ....

माँ ...
ससुरालवालों ने
मुझे ज़हर दे दिया एक दिन
मैं मर गयी
क्योकि इस बार तुम नहीं थी
मेरे पास , मेरे बचाने को ॥

माँ ...
कल अख़बार में
देख लेना मेरा नाम ॥

उनलोगों ने
पुलिस से मिल कर
हत्या को आत्म- हत्या में
बदल दिया होगा ...

माँ ....
क्या तुममे
पुलिस और नयायालय से
लड़ने की कूबत है ??
लड़ो माँ ,लड़ो
ताकि और कोई माँ
बेटी के वियोग में न तडपे ॥

20 टिप्‍पणियां:

  1. Shree Baban Bhai Ji, bahut hi Sundar likha hai aap ne...Aap ki soch mahaan hai...aap ka ye lekh bilkul vaisa hi hai jo aaj hamare samaj me ghata raha hai...Aap ko punah dhanyabaad...ki aap ne samajk lekh ( kavita Ke rup me) likha hai...

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  2. Babanji, bahut hi marmik kavita hai........sandesh seedhe dil tak pahunchta hai....bahut badhiya koshish hai logon ka hriday parivartan karne ki......

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  3. बबन जी ,अत्यंत ही मार्मिक कविता , पढ़ कर रोंगटे खड़े हो गए ..वैसे ये कोई नई घटना का जिक्र नहीं है ऐसा हमारे समाज में अक्सर घटित होता है पर आपने उसे अपनी कविता में जीवंत कर दिया है मानो वो सारी घटना आँखों के इर्द गिर्द हो रहा हो ,इस कविता को पढ़कर शायद लोगो की वाधारना बदले ........साधुवाद आपको

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  4. Babanji ek ladki ke marm ko darshati ek bahut hi khoobsurat rachna, sachmuch janm se pahle hi use bahut si agniparikshao se gujrana padta hai, her raah per uske ssamne ek nai chunauti khadi hoti hai, jiska use varan karna padta hai, jeevan me sabhi chunotio ka saamna hasker karte hue bhi jab kabhi vo toot jaati hai, to bas uske mun se yehi nikalta hai, ki hey Ishwar agle janm mohe bitia na kijo.....

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  5. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति! सभि माता पिता के लिए सबक ! सबक उन बच्चों के लिए भी जो अपने आपको जरुरत से ज्यादा होशियार समझते है!

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  6. Pandey Ji Badi hi marmik kavita hai, bahut hi achhi, ak Maa hi hai jo sab kuchh sambhal sakti hai and betiyo ke bare me logo ki mansha bhi ujagar hoti hai.

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  7. maarmik rachna....
    maa beti ka rishta aur samajik vishamtaon se sangharshrat kshamtaon ko badhiya bandha hai!

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  8. Those who are averse to the birth of girl children are having a very wrong notion that the old parents could be looked after well by their sons only but what is seen today is just reverse.The daughters are more caring to their Parents rather than their brothers.It is a very touching note. The mother’s love is bigger than sky deeper than ocean and greater than the Almighty God. Her tale is much better than the best novel of the earth. Her lap is much more comfortable than the cushion bed. Her picture is more beautiful than a very fascinating scenery of the world. Her blessings are more powerful than the thousands of seas and mountains. Her shade is much more cooler than the shed of beautiful tress. Her light is brighter than the Sun. Her role is greater over fifty percent more than that of father. Her place is much more sacred than any shrine of the universe and overall, her care is much higher than the heavenly bliss and that is the reason as why daughters are very close to their mothers and confide everthing in them. Let the inhabitants of whole world should understand that abortion and killing of fetus of unborn child whether boy or girl are not only immoral, unethical, unhygienic but unreligious too!. One must refrain from it. One will recollect that I had already expressed my anguish on killing of fetus of girl child on the face book earlier as it is against all norms of civilized societies of the world and against our religious and ethical values. The question is as who are responsible for such nefarious activities-Road way side Romeos or Roadway side Juliet or both or r lack of sex-education Certainly, such people who are carrying such nefarious activities must be identified and brought to books under law of land instead of shedding crocodile tears. Abortion has been banned but still it going on as hide and sick game for minting money by a large number of medical practitioners- such medical practitioners who are carrying out unethical activities also must be identified and brought to books under law of land. Simply by shedding crocodile tears from our eyes, we are not going to contain such derailment of our moral & ethical values rather we have to strive hard to bring mass awareness to help such victims in identifying such hardened criminals who carry out such unethical and immoral activities. Rape is one of the greatest menace worst than killing of a woman. Such rapists must be identified and brought to books under law of land and must be severally punished. The road way side jolliest also require to be well-identified and brought to books so that they can 't incite men of dubious character for sexual intercourse for worldly pleasures .Sex education and ethics must be incorporated in syllabi of our academic life right from the primary education to higher courses. The parents must avoid themselves fully to watch blue films and encourage their children to see only good films and serials that enhance moral & ethical values in them. One should not forget that girl when grows up becomes one’s mother who is the holiest on this earth. We must look ladies as our mentor and adore her with pride as they are our holiest and most loving mother, sisters ,aunties, friends and spouse too-each relationship having their own meaning. I would also like to caution ladies too with humble request to avoid fashion as far as practicable rather they should devote most of their time in grooming their children and in carrying out social & ethical activities to enrich these values in the so called modern societies. What amazed me at times, when I see round ladies not in well-dress! Exposure of body is a very ill practice and that must be avoided .It’s high time to act than to shed crocodile tears and stop carrying such nefarious activities of killing female fetus in the mother’s womb.

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  9. अत्यंत भावपूर्ण कविता है। आखॆं स्वयमेव ही नम हो गयीं एक मृत लड़की की मन की बात........
    जी बब्बन जी , क्या करे आखिर हम भी तो बेटियों के पिता जो है , पता नहीं क्या लिखा है इनके भाग्य में l

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  10. बबन जी ,"एक मृत लड़की की चिट्टी" अत्यंत भावपूर्ण कविता है।
    बबन जी, निश्चित रूप से दहेज प्रथा की जडे समाज में मजबूत हो चुकी हैं. जिस कारण महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है और कई की मौत हो रही हैं. बढते दहेज प्रचलन ने जहां कन्या भ्रूण हत्या को बढावा दिया है. बढते दहेज का प्रचलन के कारण आज कई समस्यायें खडी हो रही है. गरीबी और बेबसी के साये में जी रहे परिवार बेटी की शादी हेतु होनेवाले खर्च के डर से ही कन्या को धरती पर नहीं आने दे रहे हैं. वहीं कुछ दिनों से यह भी देखने को मिल रहा है कि महिलायें खुद ही गर्भ में पल रहे बच्चे की जानकारी लेकर उसे गर्भ में ही नष्ट कर रही है. | दहेज के कारण लडकी के घरवालों को भारी रकम उधारी लेने पडते हैं जो उन्हें आर्थिक बोझ सहने पर मजबूर करता है. कभी कभी तो दहेज का पैसा नहीं लौटाने पर लडकी के परिवार वालों को आत्महत्या तक कर लेते हैं. यही सब पर सोच विचार कर मां खुद ही अपने पेट में पल रहे बच्चे को मार देती है. जिससे केवल कन्या भ्रूण हत्या को ही बढावा नहीं मिलता , अपितु मातृत्व स्वस्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पडता है. कई जगहों पर बार बार गर्भपात कराने के क्रम में माता की मृत्यु तक हो जाती है. दहेज सिर्फ अपने आप में एक वजह नहीं है यह कई वजहों का जड है. इसके कारण समाज में कई अन्य बीमारियां उत्पन्न होती है . अगर आज भी इसे रोकने की दिशा में पहल नहीं की गई तो वह दिन दूर नहीं जब यह दहेज पूरे महिला समाज को अपने आगोश में लील लेगा.|

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  11. बबन जी...........बहुत सही विषय आपका.......और त्रासदी यह कि...........इसका अभी तक किसी के पास कोई इलाज नहीं......पहले समझा जाता था...........पढाई या पैसे कि कमी शायद ऐसा करने को मजबूर कर रही हैं..........पर आंकड़े चौकाने वाले हैं..........कि जहा लोग पढ़े लिखे है और पैसा भी अच्छा खासा है वहा यह बिमारी ज्यादा हैं.........प्रदेश ...दिल्ली...पंजाब...हरियाणा.....सबसे आगे हैं......अब लोग कहते है कि कौन हमारा नाम लेगा हमारे बाद.लड़की तो परायी होती हैं.....या फिर और ज्यादा पैसे कि हवस ....दहेज की भूख बड़ा रही हैं......शायद एक व्यापक कार्यकम कि जरूरत हैं......जिसमे सब चीजों का समागम हो......और लोगो को समझाया जा सके........एक-२ विषय पर....आगे बढ़ने से कुछ नहीं होने वाला.....

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  12. बबनजी,
    भ्रूण-ह्त्या जीव-ह्त्या या मनुष्य-ह्त्या से कैसे कम है...???
    जबतक क़ानून एवं सरकारी नीतियां अपराधी को दण्ड देने में पूर्ण सक्षम नहीं होंगे, इस तरह के पाप देश-समाज में होते रहेंगे...
    आपने अपनी रचना में इस समस्या को अत्यंत प्रभावशाली तरीके से लिखा है... समस्या अत्यंत जटिल एवं दुखदायी है, इस में कोई शक नहीं...

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  13. BABAN JI kavita achhi hai kintu ladki ne sab samjhte hue bhi apane aap ko kaabil kyu nahi banaya
    Kyu dependent rahi pahele bhag kar fir palayan karke or aakhir mai shadi or phir palayan.
    palayanwadi soch ab nahi chalegi
    Ab maa nahi ladki khud ladegi
    jamana badal gaya hai
    badalna padega

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  14. bahut kub baban g aap ki tippadi padh k to meri ankh hi bhar ayi. bhagwan se yahi dua hai ki aap isi tarah se samaj me hone wali tamam bato ko apne shabdo me pirote rahe. hamari shubhkamnaye

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  15. comment given by hono. BISWANATH PRASAD SINGH is praise worhty.good post /

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  16. comment given by hono. BISWANATH PRASAD SINGH is praise worhty.good post /

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  17. baat nai nhi hai , magar baar baar ese kahna jarori hai, aapne bahut sateek baat kahi.

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