छोड़ दिया पब को
जोड़ लिया रब को
निकल पड़ा मैं
गले लगाने सब को ॥
जबसे सजाने लगा हूँ
प्रभु के आरती की थाली
सजाने लगे है ,प्रभु भी
मेरा हृदय ,बन कर माली ॥
वंदना है मेरी ...
साथ ले चल तू सबको ॥
जब से मन ने किया है
सदविचारों का पान
कलुषित हृदय गाने लगा है
नित्य नए अमृत गान
अर्चना है मेरी
संभाल ले तू सबको ॥
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जवाब देंहटाएंहमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
आपका पोस्ट सराहनीय है. हिंदी दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंTHANKS..hamaarivaani.com and ashok bajaj ...maargdharshan karte rahe ...utsaahit karte rahe ...
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