तुमको मचलते हुए क्या देखा
मैंने एक इन्द्रधनुषी तितली देख ली //
तुमको हस्ते हुए क्या सुना
मैंने बर्फ के ढके पत्तों से
गुजरते हवा का संगीत सुन लिया //
तुम्हारे अधरों को क्या चूमा
मधु से भरे दो छत्ते मिल गए //
तुम्हारे कपोलों पर
पसीने की कुछ बूंदें थी
मुझे लगा .....
कमल के पत्तों पर
ओस की कुछ बूंदें फिसलने से रह गई //
वाह! बहुत सुन्दर....धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!आपका अपनापन अच्छा लगा,...सुंदर पोस्ट,....
जवाब देंहटाएं"काव्यान्जलि":
नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
जवाब देंहटाएंतुमको हस्ते हुए क्या सुना
जवाब देंहटाएंमैंने बर्फ के ढके पत्तों से
गुजरते हवा का संगीत सुन लिया //
...sarsarti hawa ke jhonke see sundar krati...
बहुत ही सुन्दर और रोचक वर्णन किये हैं .. नव वर्ष की ढेर साडी बधाइयाँ |
जवाब देंहटाएंतुम्हारे अधरों को क्या चूमा
जवाब देंहटाएंमधु से भरे दो छत्ते मिल गए //
WHAT A BEAUTIFUL EXPLANATION .
कमल के पत्तों पर
जवाब देंहटाएंओस की कुछ बूंदें फिसलने से रह गई //
खुबसुरत पंक्तियाँ ....