followers

गुरुवार, 15 मार्च 2012

फेस बुक


नहीं चिल्लाता बच्चों पर अब , रहता हूँ मैं अब चुप
भूख नहीं लगती है मुझको ,ना ही पीता मैं अब सूप
नहीं संभालता मैं किचेन , ना ही बनता मैं अब कुक
जब से लाया हूँ ,बीबी की सौतन नई नवेली फेस-बुक //



सारा ध्यान स्टेटस पर अब , कितने कमेंट्स हैं आये
कौन फ्रेंड्स हैं स्नेह बनाए , कौन फ्रेंड्स अलसाए
महिला मित्रों की चैत्तिंग से , बदल जाता मेरा रंग-रूप
सुबह -शाम मत मिलना मुझसे ,कहता मित्रों से दो टूक//

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई बबन जी वेसे भी आज कल फेस बुक पर महिलाओं के साथ चेटिंग करने की परंपरा अब धूमिल हुई ...किसी की हे तो ...आज कल महिला समाज पर जुल्म ढाया जा रहा है ....जो शब्द आ रहें है उस से तो ये ही ....बाकि जाह्न तक कविताओं का प्रशन है ....उसमें बिन महिला के कुछ नहीं ....और कवी मोहदय आज-कल गायब से है ...उनके पास कुछ बचा नहीं ...वो भी इसी लाइन में लग लिए ....अअब बाकि हम जेसे बचे इनकी कोई सुनता नहीं तो ...अपने बेलन चक्लोटे ही सही ....बीवी अहसान माने या नहीं पर ...आत्मिक संतुष्टि तो हे ही न ..और रंग बदल ही नही सकता बबन जी आज कल ...रंग लाने के भाव भी बहुत महंगे ..सो आज कल वेसे भी ये फेस बुक आज आज तक है ..कल का पता नहीं ....!!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बिलकुल सही नशे की तरह हो गई है ये आजकल... सच्चाई है...

    जवाब देंहटाएं
  4. जी हाँ आजकल यही सच्चाई है.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह, बबन भाई........
    सच में, मज़ा आ गया !!

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह भईया !!गहरा कटाक्ष किया है आपने फेसबुक के नशे पर यह नशा सच में सर चढ़कर बोलता है बहुत ही सटीक लिखा है आपने !!

    जवाब देंहटाएं
  7. सभी के दिल का सच आपने कहने की हिम्मत की वाह ...बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं

मेरे बारे में