दोस्तों !मुझे  खबरची   नहीं, खबर  अच्छी   लगती  है
मुझे प्यार  नहीं , प्यार  की  डगर  अच्छी  लगती  है ॥
मुझे  बाग़ नहीं , जंगलात  अच्चा  लगता है
चोर जब बंद हो , हवालात अच्चा लगता  है ॥
मुझे  नकलची नहीं , नक्ल अच्चा लगता है
हर देशवासी का ,शक्ल अच्चा  लगता  है ॥
मुझे  नाव  नहीं , उसका पतवार  अच्छा लगता  है
मुझे म्यान नहीं , उसका तलवार अच्चा लगता है ॥
मुझे हर किसान -मजदूर का , सवाल  अच्चा लगता है
अन्याय पर होने वाला , हर बबाल अच्चा  लगता  है ॥
लेने -देने का हर , रस्मों -रिवाज़ अच्चा लगता  है
पर कटे पंछी को दिया गया , परवाज़ अच्चा लगता है ॥

very vey nice bhai ji
जवाब देंहटाएं..... हर बबाल अच्चा लगता है....bahut sundar BP..
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