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गुरुवार, 12 अगस्त 2010

यादों का चश्मा पहनकर देखो दोस्त !

दोस्तों .......
आज सुबह मैंने
यादो का चश्मा पहना

सब कुछ साफ़ -साफ़ दिखता है
मेरा यू ही बैठ कर
दिन भर ताश खेलना
मेरे अपने ठगी के कारनामे
बेबजह किसी की गलतियाँ निकालना ॥

साफ़ दिखता है
बाबूजी की पिटाई
और फिर .....
इंसान बन जाने की पूरी घटना ॥
बहन की राखी की डोर से लेकर
उसकी पति -पिटाई
फिर तलाक -शुदा होने की पूरी घटना ॥

साफ़ -साफ़ दिखता है ...
सैनिको के शव
नौकरशाहों का भ्रस्टाचार
रात रंगीन करने में लुटाया गया धन ॥
दुर्घटना में घायल लोगो को
देखकर भी अस्पताल न पहुचाना॥

साफ़ -साफ़ दिखता है
पुलिस वालो का
ठेले वालों की समाने उठा लेना
रेलों पर गठरियो के बदले वसूली करना ॥

साफ़ -साफ़ दिखता है ...मेरे दोस्त
बूढी माँ का
एक कोने में चुपचाप बैठकर
बहु की दो रोटियों का इंतज़ार
उसके बेटों के बीच हो गए
दिलों के बटवारे को देखना ॥

साफ़-साफ़ दिखता है ...
दोस्तों की धोखेवाजी
नेताओं का विश्वासघात
और अपने वोट का दुरूपयोग ॥

एक निवेदन है दोस्तों ...
हम रोज पहनें
यादों के चश्मे
शायद हमें ...अपनी कुछ गलतियां नज़र आयें
और , एक कदम बढ़ा सकें
उनके सुधार के लिए ॥

मेरे दोस्त ! ....
यादों के चश्मे में , आप
गले मिलते और हाथ मिलाते
कब दिखोगे ॥

3 टिप्‍पणियां:

  1. एक निवेदन है दोस्तों ...
    हम रोज पहनें
    यादों के चश्मे
    शायद हमें ...अपनी कुछ गलतियां नज़र आयें
    और , एक कदम बढ़ा सकें
    उनके सुधार के लिए ॥

    यह चश्मा साथ तो रहता है सबके पर लोंग इसे पहनते नहीं ..बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  2. yadon ka chashma to bahut badiya hai par ise pahan kar dekh kar bhi kitana dekh pate hai ham??

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