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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

हम एक आदमी को आदमी कब कहेंगे

बचपन में .....
मुर्गा बनाते थे गुरु जी
कुछ बड़ा हुआ
फिर कहने लगे
तुम गदहे हो
उल्लू के पट्ठे हो //
खेलता -कूदता -उछलता
तो माँ कहती
तुम बन्दर हो क्या //

मेरे ऑफिस में एक कर्मचारी है
बिलकुल सीधा -साधा
लोग उसे गाय कहते है
एक दूसरा कर्मचारी
बिना लिए कुछ करता नहीं
लोग उसे कुत्ता कहते है //
किसी के पक्ष में न बोलो
तो वह कहता है
तुम आदमी हो या पैजामा //

भगवान् सिंह ने कर दी हत्या
हत्यारा कहलाने लगे
अपने ही साथी से बलात्कार कर बैठा
लोग उसे अब बलात्कारी कहते है
अब आगे नहीं लिखूंगा
अब लिखने को बचा भी क्या //

एक प्रश्न का उत्तर चाहिए
मेरे दोस्त ...
हम एक आदमी को आदमी कब कहेंगे ?

12 टिप्‍पणियां:

  1. पता नही…………शायद जिस दिन आदमी मिल जायेगा उस दिन्।

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  2. वाह.वाह.वाह..कहते थक जाएंगे पर..और क्या हूं शब्द नहीं है मेरे पास, आदमी अब आदमी नहीं ..

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  3. bahoot bada sawal hai aapka!

    sare fark ko bhul insan, jab insan banega,
    nafrat chhod jab manavta ke gale lagega.
    humanity aane par hi human, human kahlayega.

    par kahna aasaan hai, banna muskil.

    Om – Onkaar – Allah – God - Om.Sai.Ram - Madre.Watan.Hind - Vande.Matram.
    -GK,
    Citizen of Azad Hind Desh (PK+IN+BD)

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  4. admi ko insan bana bheja khuda ne
    par admi ne to dimag main shaitan pale
    admi ko admi kahen tab hi jab voh
    shitan main insan pa len

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  5. बबन जी.......अच्छा सवाल......सवाल का जवाब भी आपने दे दिया शुरू में ही............हम तो जो भी बन गए.....पर अब प्रण करे कि ..आने वाली पीढियों को.......वही शिक्षा देंगे जिस से वो इंसान बने .....ना कि मुर्गा.गधा आदि.....तो फिर आगे से इंसान ही बनेंगे /मिलेंगे ......

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  6. Bahut hi sundar kavita bhaiya ji,pad pad ke itna hasa hu ki puchiye mat. jabab kiya du, aapne khud hi likha hai किसी के पक्ष में न बोलो तो वह कहता है तुम आदमी हो या पैजामा !

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  7. हमलोग अपने बच्चे को बड़ा कुछ बनाने के चक्कर में मुर्गा ,गाय ,और क्या क्या बना डालते हैं , हमलोग कभी ये नहीं सोचते हैं मेरे बच्चे पड लिख कर अच्छा इंसान,अच्छा देशभक्त,अच्छा नागरिक बने,

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  8. वाह वाह श्री बब्बन जी I क्या बात है? जितना छोटा सवाल उतना जटिल I शायद जित जिन लोगों की उपमा दी जाती रही हम लोग उसकी आचरण में जीते रहे इ यदि हम लोग मनुष्य के आचरणों के समझे, मस्तिष्क में उतारें व् लगातार अभ्यास कर के कार्य रूप में प्रणित करें तो शायद मनुष्य का आचरण आने लग जाय अभी तो हम जिनकी उपमा दी गयी हैं उनसे भी ज्यादा गिरे हुए आचरण कर रहे हैं I इंसान व् इंसानियत दोनों का खून चूस रहे हैं I

    इस मानसिकता से हटना ही होगा, मनुष्य का शरीर धारण किया है तो कम से कम मनुष्यों जैसे आचरण तो करने ही होंगे I सुधार स्वयं से ही प्रारम्भ करना है I आइये हम सुधरेंगे जग सुधरेगा को चरित्रार्थ करें और आपका उत्तर अपने में ही ढूँढें व् अन्य को भी इंसान बनाने को प्रेरित करें I

    अति सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद व् शुभ आशीर्वाद I आशा ही नही मुझे पूर्ण विश्वास है की हम अपने को ही स्वयं पहचने की हम कौन हैं? हमारी आसली पहचान क्या है, कर्म क्या है व् सम्बोधन क्या है I

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  9. पद्य के माध्यम से आपने बहुत ही जटिल प्रश्न को रखा है जो लाजवाब है।

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  10. बच्चों की हरकतें तो प्यारी होती है बाकी जब तक समाज से गुनाह नहीं दूर होंगे शायद आदमी को आदमी न कहा जाए ..तब तक यही कहा जाएगा।...इसके लिए पहले इंसानों वाले वो काम तो करें...बहुत अच्छी रचना है...अच्छा लगा पढ़कर...

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  11. आदमी आदमी बने...
    इंसानियत मुखर हो तो आदमी को आदमी ही कहा जाएगा शायद...

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  12. jab hum Aadmi ho jayenge to log mandir jana chhod denge kyu ki Aadami me jab manbta,insaniyat Aajati hai to log unhe bhagwan kahte hai,aur ye katu satya hai.kaha gaya hai inshan ishwar ka dusra rup hote hain.aasha rakhate hain ki hum sab ek achha inshan banane ki kosish karen.

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