बबन जी! बहुत खूब! आज के इंसान की मानसिकता को प्रतिबिंबित करती फलसफा जिसका निष्कर्ष सिर्फ 'फल' कहो कैसे भी फिर कैसे भी 'साफ' बने रहने की जद्दोजहद करते रहो....
ह दुनिया उसी की, जमाना उसी का................. धोखा है जिसको ,भाता है चोखा................ शराब और शबाब की है मस्ती चढ़ी जिसे दिन रात विवादों में है जो उलझा २१ वी सदी का मानव है कहलाता ........... ...बहुत बढ़िया बबनजी, आज की परिस्थिति में बिलकुल सही लिखा.............
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है कल (23/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा। http://charchamanch.uchcharan.com
सही व्यंग. भाई साहिब ..........ऐसी भी क्या जिंदगी जिसमे धोखे ,विवादों ,या भ्रष्ट व्यवहार का टग न लगा हो .........या यूँ कहे कि ढाबे की दाल में करार तडका न लगा हो ..........बेरंग सी लगेगी ऐसी जिंदगी........
????? यहाँ तो कुछ भी नहीं है...
जवाब देंहटाएंBehad Sundar Pandey Ji,
जवाब देंहटाएंसही है आज के आम जिन्दगी मे आदमी इसके बिना बेकुफ कहलाता है!
जवाब देंहटाएंबबन जी! बहुत खूब! आज के इंसान की मानसिकता को प्रतिबिंबित करती फलसफा जिसका निष्कर्ष सिर्फ 'फल' कहो कैसे भी फिर कैसे भी 'साफ' बने रहने की जद्दोजहद करते रहो....
जवाब देंहटाएंह दुनिया उसी की, जमाना उसी का.................
जवाब देंहटाएंधोखा है जिसको ,भाता है चोखा................
शराब और शबाब की है मस्ती चढ़ी जिसे
दिन रात विवादों में है जो उलझा
२१ वी सदी का मानव है कहलाता ...........
...बहुत बढ़िया बबनजी, आज की परिस्थिति में बिलकुल सही लिखा.............
पतन के फलसफे ऐसे ही तो होते हैं....
जवाब देंहटाएंसटीक रचना!
कब डूबते हुए सुरज को देखा था, याद है?
जवाब देंहटाएंकब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?
SUNDER AUR KHOOBSOORAT RACHNA......RACHNATMAK KATAKSH!
जवाब देंहटाएंशेखर जी //
जवाब देंहटाएंआप लगातार मेरी कविता नज़र रखते है शुक्रिया
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (23/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
आज के जमाने के इंसान का बेहतरीन चित्रण। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंऐसा पीना भी क्या
जवाब देंहटाएंपीना यारों
जब न दे यार को गाली
जिसमे न पोरोसी गई हो
शराब -शबाब की थाली //
Bahut sahi hai
सच का सामना हो गया,क्यों क्या हुआ ?
जवाब देंहटाएंहिम्मत हो तो इसे गलत कर के दिखाओ I
वाह बबनजी । जीना और पीना तो कोई आपसे सीखे ।
जवाब देंहटाएंshukriya..
जवाब देंहटाएंkumpsingh ji /
SMdubey ji /
DINESH MAURYA JI //
HAUSLA BANAAYE RAKHE /
सुख क़े परिकाष्ठा को प्राप्त करती हुई एक सामायिक सुंदर रचना.....!
जवाब देंहटाएंसही कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंभई वाह ! आज का चित्रण इतने कम शब्दों में ।
जवाब देंहटाएंसही व्यंग. भाई साहिब ..........ऐसी भी क्या जिंदगी जिसमे धोखे ,विवादों ,या भ्रष्ट व्यवहार का टग न लगा हो .........या यूँ कहे कि ढाबे की दाल में करार तडका न लगा हो ..........बेरंग सी लगेगी ऐसी जिंदगी........
जवाब देंहटाएंsateek vyangy
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