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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

// मैं थोडा तिरछा देखता हूँ //

डोक्टर हूँ ...
बीमारी को नब्ज से नहीं
रिपोर्ट से पकड़ता हूँ
मैं थोडा तिरछा देखता हूँ //

वकील हूँ ....
दिमागी इल्म लगाता हूँ
सच को काँटा चुभाता हूँ
मैं थोडा तिरछा देखता हूँ //

पत्रकार हूँ ....
सबसे ईमानदार हूँ
सब सच ही लिखता हूँ
मैं थोडा तिरछा देखता हूँ //

फूल हूँ ....
बेशक गंधहीन
मगर भवरे फंसा लेता हूँ
मैं भी थोडा तिरछा देखता हूँ //

20 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल की है आपकी तिरछी नजर.

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  2. क्या बात है की इन्जीनेअर तिरछा नहीं देख रहा है?.

    सुंदर कविता.

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  3. कहा भी तो गया है टेड़ी नजर से सब कुछ देखा जा सकता है! लेकिन दुसरों के भी तिरछी नजर से बच के रहिएगा१ हा हा हा..

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  4. तिरछी टोपी वाले अब तिरछी नज़र ना फेर...गुड है जी

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  5. kahin tirchi nazar ka nishana kaam kar gaya to vyavastha mein kuch sudhaar aa sakta hai!
    bahut khoob, Baban ji, aapne vakra drishti ke kai kaam giana diye!

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  6. बबन जी...........बहुत सही कहा...............तिरछी नजर.........आजकल तो सब एक-दूसरे को तिरछी नज़र से ही देख रहे है........इसलिए कोई किसी पर विश्वास नहीं करता.....विश्वास ना होने के कारण........सब अपने 'मै' के ही मालिक हो गए है.......इसलिए तेर्छी नज़र से देखो........उसी से वार करो....और सीधी नजर से अपने को भरते रहो......

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  7. बबन जी !!!समाज में तिरछा देखने के प्रवृत्ति ..बदती ही जा रही है ..सार्थक एवं ब्यंगात्मक लघु किन्तु गंभीर रचना...शुभकामनाएं ....

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  8. ये तिरछी नज़र तो कमाल करती है।

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  9. अब जमाना ही तिरछा देखने का है ............तो हो जाईये भीड़ में शामिल.........सीधी नज़र वालों की कद्र ही नहीं है................सबको लगता है यह अयोग्य है..........!!!!

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  10. अक्षरसः सत्य तिरछी नजरिया हो गयी है सब की क्योकी लोग भी तिरछे हुए पड़े हैं सीढ़ी नज़र से दीखते ही नहीं .. वैरी नयिस भैया अस आलवेज़

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  11. सब कुछ ही तिरछा हो गया है आज के ज़माने में...
    बहुत सुन्दर...

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  12. आनंद आ गया जी...जय हो आपकी बब्‍बन भाई

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  13. भाई साहिब .......खूबसूरत व्यंग .......आज तिरछा देखने के रिवाज़ है .........ऐसी नज़र जिसमे शक .....इर्ष्या ......धोखा सब मिला जुला है .........कोई सीदा हो भी तो विश्वास नहीं होता ...........

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  14. वाह वाह बबनजी क्या बात कही है !
    सबको तिरछा दिखा!

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  15. हँसी से लोट पोट का तिरछा व्यंग
    कृष्ण की राधा भी तो तिरछा देखती थी

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