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गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

क्षणिकाए


::::::::::::(१)::::::::::::::
जाम
पहले तूफ़ान से डरा करता था
अब तूफ़ान को थाम लेता हूँ
पहले मैं परेशान रहता था
अब मेहरबानी का जाम लेता हूँ //

:::::::::::::(२)::::::::::::
भाषा
पढ़ती है आपकी आँखे
लवों की किताब
जहाँ आप हो
वहाँ प्यार बेहिसाब //

13 टिप्‍पणियां:

  1. जहाँ आप हो
    वहाँ प्यार बेहिसाब
    जहा तन्हाई हो
    वहा जीने की देती है आस

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  2. क्या कहुँ कैसे करुँ स्पर्श..खुशबू से पहचान लेती हो,
    सामने आता हु़ तो कहती हो कुछ बोलते क्यूँ नहि,
    क्या कहुँ कैसे कहुँ..सबकुछ तो आँखों से जान लेती हो!!

    जवाब देंहटाएं

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