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सोमवार, 20 दिसंबर 2010

नकाब

सुनो .....
दिखाबा मत करो
मैं ईमानदारी हूँ
बहुत दिनों तक
तुम्हारे घर के अंदर रही
अंकुरण तो दूर
ठीक से रह भी न पाई //

सुनो .....
मुझे के बाहर
दरवाजे पर कही टांग दो
फिर , जी भरकर
घर के अंदर
जो बुझाये - वो करो //

आखिर मेरा
नकाब कब तक पहनोगे .//

22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और आज के लोगों की मनस्थिति को बखूबी ब्यान करती पंक्तियाँ|

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  2. लोगो के बाहरी रूप को दर्शित करती बड़ी ही प्यारी रचना....

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  3. Imandaari ka nakaab odh kar Desh ko mat looto.....
    Bahut khoob....Baban ji....yeh panktiyan aaj ke bahutayat logon par charitarth ho rahi hai.... yeh nakaab jab utrega to kalai khulegi....bahut hi saarthak rachna....

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  4. ईमानदारी का नकाब...
    वास्तविकता की व्याख्या करती हुई सुंदर प्रस्तुति...
    ...शुभकामनाएं।

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  5. नकाब उतर ही जाते हैं...!
    सार्थक रचना!

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  6. बबन जी ......मेरा पसंदीदा विषय चुना है .......में आज कल फेस बुक पर भी ये है चर्च अमन हूँ की इन्सान दो चेहरे और एक नकाब आपने पास रक्त है ....इसीस लिए दुनिया डा दर्द दुगुना हो जाता है जहाँ तक इंसानी रिश्तों की बात है ....पर उस नकाब में रहतें हुई इन्सान फिर भी झूठा ही रहता है ...पर नकाब सच्चा है और ये उद्गार भी करता है मैं ईमानदारी हूँ....बहुत दिनों तक......तुम्हारे घर के अंदर रही...बबन जी इंसानी फितरत ...उसक काया करें ....अच्छी रचना आप की ...बधाई आप को !!!!!!!!!!!!

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  7. बबन जी ......मेरा पसंदीदा विषय चुना है .......में आज कल फेस बुक पर भी ये है चर्चा में रहता हूँ की इन्सान दो चेहरे और एक नकाब आपने पास रखता है ....इसीस लिए दुनिया का दर्द दुगुना हो जाता है जहाँ तक इंसानी रिश्तों की बात है ....पर उस नकाब में रहतें हुई इन्सान फिर भी झूठा ही रहता है ...पर नकाब सच्चा है और ये उद्गार भी करता है मैं ईमानदारी हूँ....बहुत दिनों तक......तुम्हारे घर के अंदर रही...बबन जी इंसानी फितरत ...उसक काया करें ....अच्छी रचना आप की ...बधाई आप को !!!!!!!!!!!!

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  8. Wah! wah! achha laga imaandaari ki baat dunia k samne rakhne ka ye andaaz :)

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  9. lakh chupao chup na sakega raaz ye dil ka gahra,
    dil ki baat bata deta hai, asli nakli chehra....

    Imaandaari bhi aise logon se ghabrati hai.......bahoot khoob!!!!

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  10. behtarin rachna hetu badhai,choti aur sateek rachna jisne samay ki sachhai ko ujagar kiya hai.

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  11. भ्रष्टाचार के खिलाफ
    लड़ने को सभी तैयार हैं
    पर उसके रहने की जगह तो कोई बताये,
    पैसा देखकर
    सभी की आंख बंद हो जाती है
    चाहे जिस तरह घर में आये।
    हर कोई उसे ईमानदारी से प्यार जताये।

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  12. ज्यादा तक लोग इस नकाब का बखूबी से आनंदले रहे हैं पर कब तक? नेता, आतंकवादी, भ्रष्टाचारी, कौन आज नकाब में नहीं है, यहाँ तक की सडक के भिकारी भी, और भगवान् भी I अंधेर नगरी है और राजा, चौपट I
    जाका गुरु भी अंधला चेला करा निरंध,
    अंधे अंधे ठेलिया दोनों कूप परंत
    बब्बन जी बहुत ही सटीक वारI अब तो सारा देश ही कुएं में जारहा है I ये सब नकाब ही की दें है I कब ये नकाब उतरेगा I

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  13. ऽअखिर मेरा नक़ाब कब तक पहनोगे।
    क्या बात है।

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  14. आखिर मेरा
    नकाब कब तक पहनोगे .//

    Good think.... I like

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  15. BAHUT ACHCHA LIKHA HE AAPNE , AAP YOG GURU SWAMI RAM DEV JI DWARA SANCHALIT BHARAT SWABHIMAN ANDOLAN KE SADSYA(MEMBER) BANKAR UNKA SAHYOG KARE

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