मोतियों की खोज
(
कर्म प्रधान है ,
इसी बात को दर्शाती एक रचना)
मोतियों की चाह मेंमैं खड़ा थासमुद्र तट परडराती थी मुझेसमुद्र की गर्जनामैं तो सिर्फ लहरों को गिनतालहरे आती -
जातीमगर ...
मोतियाँ साथ नहीं लाती //
नहीं डरा वह गर्जनाओ सेकूद पड़ाअथाह जल राशि मेंऔर जब वह निकलाउसकी हथेलियाँमोतियों से भरी थीं//
Kwabon ko hakikat me badal kar to dekh
जवाब देंहटाएंPinjre ki salaakhon me hai udne ki rah bhi
Gulaami ko bagaawat me badal kar to dekh
khud-b-khud hal hongi Jindgi ki mushkilen
Khamoshi ko sawaalaat me badal kar to dekh
Chattaane bhi tutengi inhi hathon ke bharose
Apni aarzoo ko ibaadat me badal kar to dekh
Andheri raahon me chamkegi suraj ki roshni
Angoothe ko dastakhat me badal kar to dekh
Honsalaa kam naa hogaa teraa tufaan ke samne
Mehnat ko ibaadat me badal kar to dekh
Kadmon ke tale khud hongi manjilen ‘baban’
Meri baaton ko nasihat me badal kar to dekh
बहुत ही प्रेरनादायक प्रस्तुति ! सही कहा आपने मोति पाने के लिए समुद्र मे तो उतरना ही पड़ेगा ! बिना ह्मथ उठाए तो खाना भी मुँह मे नही आता ! कुछ पाने के लिए कर्म / मेहनत तो करनी ही पडेगी सिर्फ सोचते रहने से या हाथ पे हाथ रखकर बैठने कुछ भी हाशिल नहिं होगा !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अजय कुशवाहा भाई //
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बात कही अपने बब्बन भैया .... अगर कुछ हासिल करना है तो प्रयास करने से ही होगा .... लहरे रुपी बाधाओं का सामने करते हुए हमे निरंतर अपने लक्छ्य की ओर आगे बढ़ते रहना चाहिए ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर और प्रेरणादायक रचना
जवाब देंहटाएंजीवन में कुछ पाने के लिए कुछ साहसिक कदम तो उठाना ही पड़ता है.....एक बड़ी ही अच्छी प्रेरनादायी रचना....
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक रचना....
जवाब देंहटाएंनहीं डरा वह गर्जनाओ से
जवाब देंहटाएंकूद पड़ा
अथाह जल राशि में
और जब वह निकला
उसकी हथेलियाँ
मोतियों से भरी थीं//
hauslon ke hath mein hi moti hote hain
मोती समुद्र की तह मे ही होते है...और उन्हे पाने के लिये गोता लगाना ही पड़ता है..उम्दा बबन जी
जवाब देंहटाएंमेहनत तो रंग लाती ही है, बस उसे करने का इरादा और हौसला होना चाहिए...
जवाब देंहटाएंदुनिया जीती जा सकती है ........ सुंदर रचना
फल मीठा पाना हो तो मेहनत तो करनी ही पड़ेगी..............उसके बिना कुछ संभव नहीं है.................कहते हैं न सामने थाली में पड़ा खाना भी आपके पेट में तभी जाएगा जब आप हाथ बढ़ाएंगे...............बहुत उम्दा ,प्रेरणादायक रचना बबन जी!!!!
जवाब देंहटाएंjin khoja tin payiyan gahre pani paith
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना मेरे विचार से नव-वर्ष का संकल्प लगता है. पंक्तियों के भावार्थ हमें शेखचिल्ली की तरह सिर्फ सोचने को नहीं कहता है वरन कर्म करने की सिख केता है. जो गहरे समुद्र में जाने का 'साहस' रखते है, 'मोती' उन्ही को मिलता है. कर्म प्रधान विश्व करी रखा ... कर्म से इंसान अपनी किस्मत बदल सकता है, यह एक प्रमाणित सत्य है.
जवाब देंहटाएंबबन जी! आने वाला नया वर्ष नयी उमीदों और शुरुआतों के नाम! जीवन संघर्ष और सृजन के नाम!!
सादर!
किनारे पर मोती नहीं मिलते!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश देती रचना!
बब्बन भईया
जवाब देंहटाएंबहुत सही सन्देश , आज के दौर मे ऐसे सन्देश की जरुरत है । कर्म ही सब कुछ और फल की इच्क्षा रखने वालो के लिये कर्म ही सबसे सही और सुगम मार्ग है ।
सादर धन्यवाद
और जब वो निकला , उसकी हथेलियां मोतियों से भरी थीं ,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई।
नहीं डरा वह गर्जनाओ से
जवाब देंहटाएंकूद पड़ा
अथाह जल राशि में
और जब वह निकला
उसकी हथेलियाँ
मोतियों से भरी थीं//
bahoot hi prernadayak kavita.
prernadayi kavita hai karm hi pradhan hai yah bhavnao se otprot rachna hai,bahut hi achha hai sir.
जवाब देंहटाएंउम्दा और प्रेरणादायक अभिव्यक्ति ........ब्लाग पर अद्यतन करने अंजलिबद्ध वधाईयां .आगामी वर्ष की ढेर सारी शुभकामनायें !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरणादायी रचना ..........हमें भागवत गीता की कालजयी श्लोक "कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा............" की याद दिलाता है. ब्लॉग पर अद्यतन की बहुत-बहुत वधाईयां .
जवाब देंहटाएंजीत उनको ही मिली जो हार से जम कर लड़े है
जवाब देंहटाएंवह धराशायी हुये जो हार से डर कर खड़े है
हर विजय संकल्प के पद चूमती देखी गई है
वह किनारे हे अड़े जो सिन्धु से जम कर लड़े है
वाह वाह बहुत ही अची प्रस्तुति है आप की.. बधाई