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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

चिराग


( मित्रों , कहते है बूंद -बूंद से सागर भरता है ठीक उसी तरह थोड़ी थोड़ी दुसरे की मदद करके एक आदमी, अंत तक बहुत बड़ा दानी /परोपकारी बन सकता है । इसी भावना को दर्शाती एक छोटी सी कविता । क्या मैं सही हूँ ? )

एक चिराग हूँ
छोटा सा //
हर दूसरे को
जलाते जा रहा हूँ //

मेरी ऊर्जा घट नहीं रही
यकीन मानिए
अंत तक
मैं बन जाउंगा
एक विशाल अग्नि पुंज //

17 टिप्‍पणियां:

  1. एक अकेला चिराग सारे जहां के बुझे चरागों को जलाकर इस जहां को रोशन कर सकता है. बहुत अच्छी रचना.

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  2. यकीन मानिए
    अंत तक
    मैं बन जाउंगा
    एक विशाल अग्नि पुंज.

    बहुत सही

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  3. Baban ji, hamare school ka to Motto hi tha "LIGHT TO LIGHTEN".What you have written is the absolute Truth...............Duniya mein roshni failane ke liye ek chiraag se shuruaat hi kaafi hai!!!!

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  4. बेहद गहन और उम्दा रचना सत्य को उदघाटित करती।

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  5. बबन भाई ....बहुत ही सुन्दर .....अभिव्यक्ति है आप की ......आप की कविता भले ही छोटी हो या आप कहतें हो पर ...बात का मतलब समुद्रता की विशालता लिए हुए है ....में बहुत संतोष कर रहा हूँ की ....हम में अभी भी बातों की सार्थक ता का पुट बाकि है और...इस जोत से जोत जला कर ... सकारात्मक सोच रखतें है और कभी कभी बड भी रहें है ....आप इसी तरह लिखते रहें ...हमारी शुभकामनायें जी ....सादर !!!!!!!!!!!

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  6. बुझते दीयों को जलाने के लिए, ए दिल तू जि जमाने के लिए ! दुनियाँ खत्म हो जाएगी पर एसे लोग अमरता को प्राप्त होंगे !

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  7. Bahut hi sunder abhivyakti baban ji........sakaratmak soch ko darshati hui, sach me ek chota sa deepak roshan kar deta hai pure jahan ko..............:))

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  8. bahut hi uchch vichaar Baban ji ...sabke jeevan men khushiyan laane se apni urja ghathti nahi varan usse aatmsantosh prapt hota hai aur vo vishaal agnipunj ban jaataa hai ...bahut sundar ..bdhaayi !!!!!

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  9. मेरी ऊर्जा घट नहीं रही
    यकीन मानिए
    अंत तक
    मैं बन जाउंगा
    एक विशाल अग्नि पुंज
    बहुत बहुत ही प्रेरणादायकऔर लाज़वाब

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  10. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई।

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  11. baban ji............bahut badiya......ek sarthak abhivyakti.......bilkul sahi bat...
    //अंत तक
    मैं बन जाउंगा
    एक विशाल अग्नि पुंज//

    .....bahut khoob....

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  12. "जगत भर की रोशनी के लिए..बुझे दीयों को ज़लाने और अंधेरों को उजालों की ओर प्रेरित करने के लिए..इस ज्योतिपुंज रुपी प्रेरणास्रोत दीपक की लौ कभी धीमी न पड़े, कभी कमज़ोर न हो और कभी बुझने न पाए ईश्वर से बस यही प्रार्थना है"...आदरणीय सर,आपके स्नेह और आशीर्वाद की प्रतीक्षा में

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