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छुई -मुई सी है देह तुम्हारी
और फिसलता उर
नारी के यौवन को देख
फिसले मानव ,सुर -असुर //
लहरों में भी तेरा चेहरा
इन्द्रधनुष सा चमके
रातों में भी तेरा चेहरा
जैसे असख्य दामिनी दमके //
मन के आँगन में आओ
सींचो प्रेम की बगिया
आगोश में जब हम -तुम होंगे
महक उठेगा खटिया //
हम्म। महक उठेगा खटिया!!
जवाब देंहटाएंउम्दा भाव।
ओह बहुत खूब लिखा है सर जी...
जवाब देंहटाएंमन के आँगन में आओ
सींचो प्रेम की बगिया
आगोश में जब हम -तुम होंगे
महक उठेगा खटिया //
वाह.....
पहचान कौन चित्र पहेली :- ८ ..
इक चाँद आसमा में एक चाँद मेरे आगोश में
जवाब देंहटाएंवो चाँद बेनूर सा ये चाँद होशो हवाश में
उसे देखू या इसे देखू क्या करू मेरे रब्बा
वो छिप गया बादल में ये घूघट में ओट में
भाई साहब बड़ी सुन्दर,चमकदार,महकदार है "खटिया"
जवाब देंहटाएं"खटिया" सलामत रहे ,बा-क़यामत रहे,------"आमीन"
"सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे"साथ तुम्हारा प्यारा लगे.
आपका लेखन स्तर इससे ज्यादा अच्छा होता है ...
जवाब देंहटाएंइन भावों को शब्द चयन से खूबसूरती दी जा सकती थी ...
कविता में भाव पक्छ अच्छा है ,लेकिन इस कविता की मासूमियत को
जवाब देंहटाएं"खटिया" शब्द ने छिन्न-भिन्न कर डाला है। चाहें तो खटिया शब्द को बदल सकते हैं।
NAARI KE SAUNDRY KO AAPNE .. SAHI DHANG SE SAMJHA HAI /
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