२१ वी सदी का भारत
घोटालों का एक वटवृक्ष है
दुनियाँ वालों ....
हमने ही सिखाया था आपको राम राज
अब सिखाते है आपको घोटाला राज
क्योकि मैं विश्व -गुरु हूँ //
आओ ,
इस वृक्ष का फल चखो
मेरा दावा है
बिना इस फल को चखे
वैतरणी पार करना मुश्किल है //
फल का निर्यात नहीं करेगा भारत
पर्यटन को आईये
फल भी खाइए
बीज भी साथ ले जाइए //
अरे वाह ये तो मॉडर्न कविता है..आज के परिपेक्ष से जुडी हुयी....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....
वो लम्हें जो याद न हों........
बबन जी सही कहा आपने वैतरणी पार करना मुश्किल है इस फल का स्वाद चखे बिना. और उसके लिए विश्व -गुरु को प्रणाम तो करना ही होगा.
जवाब देंहटाएंक्यों की हम विश्व गुरु है..
जवाब देंहटाएंतो आइये २१वी सदी के इस वटवृक्ष को जड़ से समाप्त कर दे.....
भाई जी
.....वर्तमान परिदृश्य के ऊपर एक सही कटाक्ष है.....इस रचना में.......,
बबन जी! करार प्रहार किया है आपने इस 'घोटाले' पर... नित्य नए घोटाले फिर जांच के लिए सांसद ठप! आरोप-प्रत्यारोप! नेताओं की तू-तू मैं-मैं!! बस ईकीस्वी सदी का उभरता हुआ भारत जहाँ इमामारातें कभी भी, कही भी गिर सकती है, सड़कें कही भी धंस जाती हैं, आदि आदि... लोग तंग हैं, परेशान हैं पर कुछ कर 'नहीं' सकते! नेता घोटाले करते हैं और बेशर्मों की तरह अनाप-शनाप बयानबाजी...
जवाब देंहटाएंबबन जी! स्थिति बहुत नाज़ुक है... में 'कौमन मेन' सो अन्य कौमन मेन की तरह सिर्फ डरा, सम्हा, बैसहाय महसूस करता हूँ...पर अखवार, सामाचार खूब चटकारे लेकर पढता, देखता हूँ...पार्टी की आलोचना भी करता हूँ... पर एक बात वो यह की 'कुछ कर नहीं सकते' भी बोला करता हूँ...
बबन जी! ठीक करता हूँ न शायद होशियार लोग ऐसे ही करते हैं...चुप रहना, घर में छुपा रहना बेहतर समझते हैं....
सादर
भारत हमेशा से ही जगत गुरु रहा है ...
जवाब देंहटाएंअच्छाई के साथ-साथ बुराई में भी
अब हम आगे हो गए है ......
आपने बहुत सुंदर ढंग से
सिस्टम पे कटाक्ष किया है ..
बहुत सुन्दर कविता भाई साहब!कटाक्ष भी कठोर, लेकिन क्या हमारे बढे हुए कदम वापस हो पाएगे? सायद नहि,क्योकि इस घोताले रुपी "वृक्ष" ने वाकई "वट वृक्ष" का रुप ले लिया है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता भाई साहब!कटाक्ष भी कठोर, लेकिन क्या हमारे बढे हुए कदम वापस हो पाएगे? सायद नहि,क्योकि इस घोताले रुपी "वृक्ष" ने वाकई "वट वृक्ष" का रुप ले लिया है !
जवाब देंहटाएंमैं नहीं दबाउंगा
जवाब देंहटाएंपांच साल में एक बार बटन
वोटिंग मशीन का
अब दबाउंगा गर्दन
सांप आस्तीन का //
shukriya /
pushkar ji /
vijay lakshmi bhuwania ji
shekhar suman ji /
priydaran ji /
फल का निर्यात नहीं करेगा भारत
जवाब देंहटाएंपर्यटन को आईये
फल भी खाइए
बीज भी साथ ले जाइए
:) :) बहुत खूब ...
Sundar vyangya Baban ji ..
जवाब देंहटाएंपर्यटन को आइये,फल को खाइये और बीज़ साथ ले जाइये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
Baban ji, aapki kavita to tourism ko badawa degi...
जवाब देंहटाएंwaise hum se saari duniya sirf yeh fal hi nahi chahti, wo to ek technology bhi chahti hai, jo sirf Bharat k pass hai aur wo hai Jugaad Technology... jiske bharose hamari sarkaar tuk chal rahi hai.....
Bahut khoob kaha aapne....
bahoot hi sunder abhivyakti ,pryatan ko ke kar
जवाब देंहटाएंAapka daava bilkul sahi hai Baban ji... Is phal ko chakhe bina vastav mein vaitarni paar karna sambhav nahin hai aajkal......
जवाब देंहटाएंपर्यटन को आइये,फल को खाइये और बीज़ साथ ले जाइये।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
bahoot ki sahi bat kahi hai aapane sir kavita ke madhyam se..
जवाब देंहटाएंregards
Kaaash hum sare ke sare beejo ka niryat kar pate.......
जवाब देंहटाएंBahut khoob babanji
आपकी इस सुन्दर रचना की चर्चा
जवाब देंहटाएंबुधवार के चर्चामंच पर भी लगाई है!
बहुत बढ़िया बबन जी.....बहुत सटीक कटाक्ष ........विश्व गुरु बन रहे है..........घोटाले करने में..........इसलिए हम सीखा सकते है अब नए-२ गुर..........नए-२ घोटाले करने में.......मै तो सोचता हूँ.............कि खोल दिए जाए अब विश्व विद्यालय जिसमे सिर्फ सीखाए जाये गुर घोटाले करने के..........नयी डिग्री होंगी........BG , MG ,DG.........बहुत खूब बबन जी.........
जवाब देंहटाएंविषय का चयन और उसकी अभिव्यकती तथा कटाक्ष सब खूब .........क्या करें अब घोटाले इतने बढ़ गयें हैं कि हमारी रचनाएँ भी उनके बिना पूर्ण नहीं होती ........यहाँ भी उनका मसाला ही रचना को स्वादिष्ट बना रहा है .........हर क्षेत्र में गुरु है 'हम'
जवाब देंहटाएंham bhartiyon ko andaza nahi hai ham kitna gir chuke hain aur lagatar girte ja rahe hain, achcha kataksh
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर रचना को आज के चर्चा मंच में भी लगाया गया है!
जवाब देंहटाएंशेयर करने का बहुत-बहुत शुक्रिया भाई.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने.....परन्तु हमारे समाज में भ्रष्टाचार ने बहुत अन्दर तक पैठ बना लिया है जिसे समूल नष्ट करने के लिए हम-सबको मिलकर भागीरथ-प्रयत्न करना होगा तभी हमें इस महारोग से मुक्ति मिल सकेगी.
बहुत सटीक और सही बात। अब तो सारे फल स्विस बैंक में जमा हो रहे हैं, फलने फूलने के लिए।
जवाब देंहटाएंसिर्फ एक शब्द... वाह...
जवाब देंहटाएंsateek baat!
जवाब देंहटाएंराजनीती को, घाटे का सौदा, जब तक नहीं बनाया जायेगा, यह सब चलता ही रहेगा, राजनीती में अपराधी, लालची, भ्रष्टाचारी आते ही रहेंगे.
जवाब देंहटाएंआपकी यह व्यग-वाण भी उनके कवच को भेद नहीं पायेगी. १००% सही व्यंग है.
फल का निर्यात नहीं करेगा भारत
जवाब देंहटाएंपर्यटन को आईये
फल भी खाइए
बीज भी साथ ले जाइए //
aisa gajab mat kijiyega ..jo thodi bahut dunia bachi hui hai uska bhi patan ho jayega .
pahli baar padha aapko bahut si kavitayen padhii ...sarthak chintanshiil or prabhavi lekhan
daad hazir hai kubool karen
नपे तुले शब्दों में बहुत कुछ कह गए, जनाब। क्या मेरी बिटिया अपने स्कूल की असेंबली में आपके नाम के साथ आपकी पंक्तियों को बोल सकती है?
जवाब देंहटाएंनपे तुले शब्दों में बहुत कुछ कह गए, जनाब। क्या मेरी बिटिया अपने स्कूल की असेंबली में आपके नाम के साथ आपकी पंक्तियों को बोल सकती है?
जवाब देंहटाएंneeraj sharma G
जवाब देंहटाएंawshy aapki beti apne school ke assembly me bol sakti hai