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शनिवार, 7 अगस्त 2010

उल्टा ख़त


ख़त आया था
चाची जी का / चाचा के नाम ॥
पढ़ नहीं पा रहे थे ख़त
पता नहीं ...
कौन सी भाषा में लिखी थी ॥

पुनः चाचा जी ने ख़त लिखा
" श्री मति जी
दिलों की रानी
आपका ख़त किस भाषा में है
कैसे पढू
कैसे बताऊ हाले -मुह्हबत "

फिर चाची जी का ख़त आया
" मेरे बुध्धू श्रीमान
प्रेम -पत्र है ..कोई मजाक नहीं
दर्पण के ठीक सामने रखिये
उल्टा लिखी हू
दर्पण में सीधा दिखेगा
डर लगता है
कही सास -ससुर पढ़ न लें
हमलोगों की प्यार भरी बाते
और ....
मजाक न उडाये देवर "॥

ऐसे होते थे
पहले के प्रेम पत्र ॥
चाची जी ...
मुझे आप पर गर्व है ...
एक हिन्दुस्तानी बहु होने का
कितना समय लगा था
यह पहला प्रेम पत्र लिखने में चाची जी

1 टिप्पणी:

  1. Baban ji ek bahut hi sunder rachna, pahle samay me sayukt pariwar hote the, jinme choti badi takraar, laad manuhaar sab dekhne ko milte the, aapke sukh aur dukh me aapka sath dene ke liye bahut saare hitaishi khade hote the, lekin aaj hamari yeh sanskriti kahin dhumil hone lagi hai, aaj to log chhota pariwar chahte hai, jisme vo aur unke bacchon ke atirikt aur kisi ke liye sthan nhi hota, unke paaltu jaanwaro ke liye to sthan hota hai, lekin mata pita aur bhai bahno ke liye nhi..........ek bahut hi sunder rachna ke liye hardik badhai........

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