![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpmN854hRFZXzZkMbWpjtvFo10vP0VDsPTHnq7vFu_NJmV1RbdHSQB794Nllm4FIf4MFJ2MB5vcWP5Br-yugQw14QMubNgJCcujuQZZPLmG3jK1APEdUQjJAhcYJAr0GPUYh8TeRzN9W0/s320/butter.jpg)
तुम
जब छत पर आती हो
छुपा लेता है
चाँद अपने को , बादलों की ओट में ॥
जब तुम मुस्कुराती हो
कलियाँ फूल बन जाती है
मौन निमंत्र्ण देती है
मुझे तोड़ो ....और
लगा लो अपने गजरे में ॥
जब तुम हँसती हो
रंग -बिरंगी मनभावन तितलियाँ
तुम्हारे कपोलों को चूमने दौड़ती है
सच में
तुम्हारे कपोल पराग -कनों से बने है ॥
और सुनो ....
तुम बगीचे जाओ
पैदल और नंगे पैर ही
क्योकि ...
हरी -दूबों की फुनगियों पर बैठे ओस -कण
तुम्हारे चरण धोना चाहती है ॥
wah.. baaton hi baaton me kisi ki sundarata ka aisa varnan.. bemisaal hai.. bahut khubsurat...
जवाब देंहटाएंanita maurya