followers

सोमवार, 9 अगस्त 2010

जब तुम छत पर आती हो


तुम
जब छत पर आती हो
छुपा लेता है
चाँद अपने को , बादलों की ओट में ॥

जब तुम मुस्कुराती हो
कलियाँ फूल बन जाती है
मौन निमंत्र्ण देती है
मुझे तोड़ो ....और
लगा लो अपने गजरे में ॥


जब तुम हँसती हो
रंग -बिरंगी मनभावन तितलियाँ
तुम्हारे कपोलों को चूमने दौड़ती है
सच में
तुम्हारे कपोल पराग -कनों से बने है ॥


और सुनो ....
तुम बगीचे जाओ
पैदल और नंगे पैर ही
क्योकि ...
हरी -दूबों की फुनगियों पर बैठे ओस -कण
तुम्हारे चरण धोना चाहती है ॥

1 टिप्पणी:

मेरे बारे में