यह  कविता  मेरे मित्र  मधुसुदन  भाई  के  द्वारा  वाल पर  लिखे गए दो पंग्तियो   पर आधारित  है ....
अगर ....मेरे सारे  दोस्त
मुझसे  कटिस  हो  जाए
कोई   बात   नहीं ॥
मेरे  पैर  जवाव   दे   जाए
व्हील -चेयर   है  ना ॥
मेरे  आँख  मुझे  धोखा   दे दें
ब्रेल -लिपि   में  पढ़  लूँगा ...
मगर...
मेरे  दिल  की  धड़कन
तुम  धोखा   मत   देना
तुम  धड़कते   रहना
यू  ही  सदा
तुम पहुचाते  रहना
शरीर  के  नसों में  शुद्ध  खून
जो   करते   है ...
उर्जा   से  लबरेज
मन   और  मस्तिष्क   को ॥

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