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शनिवार, 21 अगस्त 2010

रावण बार -बार जिन्दा क्यों होता है

राम और रावण
दोनों बसते है ...
मेरे /आपके हृदय में ॥
दोनों में चलता रहता है ...
एक युध्ध ...अहर्निश ॥
कभी राम सबल होता है
तो कभी रावण ॥

सुबह उठता हू ...
नित्य क्रिया कर
भगवान् की मूर्ति के सामने
आरती गाता हू
धुप जलाता हू ....
तब मेरा राम सबल रहता है
भिखारी को दान देना अच्चा लगता है
वृद्ध माता -पिता पूजनीय लगते है
सबसे प्रेम से बातें करता हू ....

जैसे -जैसे दिन बीतता है ...
झूठ /धोखा /बेईमानी का
फल चखता हू ....
तब मेरे अन्दर का राम ...
हारने लगता है ...मेरे दोस्त
रावण सबल होने लगता है ॥

हम जलाते है ...
रावण को हर दशहरे में
फिर क्यों नहीं मरता
मेरे अन्दर का रावण ॥

1 टिप्पणी:

  1. बबन भैया .. आपको नब्ज़ पकड़ ने में पारंगत हासिल है | हरित क्रांति की वाकई आवस्यकता है | जय किसान ,जय जवान, जय विज्ञान ,जय कवी महान.| बधाई स्वीकार कीजिये | आपके इन विजयी विचारो को आत्मसात कर सके हम लोग यही कामना है इश्वर से |

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