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मंगलवार, 8 जून 2010

शंकर जी धयान दीजिये

हे ! त्रिनेत्र धारी
पार्वती पति
नंदी के धारक
सापों के प्रेमी ....
और, हमेशा नशे में रहने वाले
मेरे शंकर !!!

मैं जानता हू
आपके नशे का कारण ॥
समुद्र - मंथन से
जो हलाहल निकला
उसका सेवन किया था न आपने ?
और नीलकंठ कहलाये

क्या एक बार पुनः
पृथिवी लोक आकर ....
वैमनस्य का विष नहीं पियेगे आप
यह विष
समुद्र -मंथन से नहीं
बल्कि लालच / क्रोध / इर्ष्या /द्वेष /अविश्वास का
मंथन कर निकला है हमलोगों ने ॥
इस विष से आपके कंठ
और नीले नहीं होंगे ॥

दूसरी प्रार्थना है ... प्रभु
जनसंख्या नियंत्रण के लिए कुछ करो
इस विषय पर कोई नेता नहीं बोलता
मुझे हल्का -हल्का याद है प्रभु
संजय गांधी ने .....
नियंत्रण हेतु जब्बरदस्ती नशबंदी
करवा दिया था कुछ लोगो का
बड़ा बवेला मचा था ....
अब तो कई नेताओ के ही
नौ - दस बच्चे है .....
एक बिहार के है , दुसरे आन्ध्रप्रदेश के थे ॥

मगर प्रभु ....
जनसंख्या नियंत्रण के लिए
ज़लज़ला / भूकंप /बाढ़ ...और दंगा
मत करवाइएगा ॥

एक और अनुरोध है ....
"गंगा एक्सन प्लान "..का क्या हुआ
मुझे पता नहीं ...

सुना है ... मेरी दादी कहती थी ...
आपने गंगा -मैया को
अपने जटा में लपेट लिया था ...
थोडा सा गंगा - जल में वृद्दि कर दो
बहुत फायदा होगा ....
टेहरी डैम से खूब बिजली बनेगा
उसके किनारे के मल-मूत्र साफ़ हो जायेगे
और सबसे अच्छी बात होगी ....
"सुल्तानगंज" में गंगा - जल में वृद्धि
ताकि भक्तगण "देवघर" में आपको स्नान करायेगे ॥

आप तो भ-भुत और राख लपेटते है .....
फिर भी अशुद्ध गंगा - जल से
आप भी स्नान करना नहीं चाहेगें

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