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शनिवार, 26 जून 2010

आईये राजघाट चलें

मित्रों , महंगाई पर लिखने को बार -बार फ़ोन काल्स आ रहे है ..पुनः लिखा हू

आईये ...राजघाट चलें
चल कर बापू से कुछ कहें ॥

प्रिय बापू ...
कहना तो नहीं चाहता
आपकी आत्मा दुखी होगी
मगर ,मेरी आत्मा सुखी होगी ॥

भारत में
महंगाई बहुत बढ़ गयी है
सबकी संवेदना सड़ गयी है ...

एक अनुरोध है ...
राजघाट के बगल में
थोड़ी ज़मीन उपलब्ध करबा दो
ताकि ...
भूख से मरे मजदूरों को
आत्म -हत्या करने वाले किसानों को
वही दफनाया /जलाया जा सके ॥

इसलिए कि...
आने वाले विदेशी पर्यटक
आपके साथ -साथ
भूख से मरे लोगों पर भी
श्रद्धा सुमन अर्पित कर सके ॥
---------------baban pandey

2 टिप्‍पणियां:

  1. कौन अपने वगल मेँ कंगालो को वैठने देगा ।अगर वैठ भी गये ,तो इस अहिँस के पास तो यहाँ आने वाले हिँसक लोगोँ से यह कंगाल आत्मा डरी सहमी रहेगी ।

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  2. swami mrigandra saraswati ji ..aapke vicharo se sahmat hu ...aap mere blog par ..atishay prashantta hui

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