"मेरी जाति के लोग
मेरी पूंजी है
हर समय
हर मदद को तत्पर रहेगे " ॥
ऐसा मेरा मानना था ...
पर जब
रिश्तों की बात चली
जाति वाले ही
मेरी सारी जमा पूंजी
हस्तांतरण को आमदा हो गए ॥
ऊपर से यह तुर्रा
"घी दाल में ही गिरेगा "
------बबन पाण्डेय
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