followers

रविवार, 6 जून 2010

दंभ से बचो , मेरे दोस्त !!

आसमान को
कौन छुना नहीं चाहता , मेरे दोस्त !!
तारे तोड़ने की ईच्छा
किसे नहीं होती ॥

परन्तु , आसमान छुने पर
दंभ मत भरना , मेरे दोस्त !!

हिमालय भी दंभ भरता था
अपनी ऊँचाई का .....
न जाने कितनी बार
तोड़ा गया उसका दंभ ॥

पहाड़ के शिखरों पर रखे
पथ्थरो की बिसात ही क्या
किसी भी दिन
कुचल दिए जायेगे
सडकों के नीचे
बड़े -बड़े मशीनों द्वारा ॥

और अंत में ....
यह भी याद रखना , मेरे दोस्त
दरखतो की उपरी टहनियां
दंभ भरती थी
मगर जब , आंधी चली
उपरी टहनियां ही
टूट कर सबसे पहले ज़मीन पर आयी ॥

2 टिप्‍पणियां:

  1. "मगर जब , आंधी चली
    उपरी टहनियां ही
    टूट कर सबसे पहले ज़मीन पर आयी"

    वाह,.. बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं

मेरे बारे में