आसमान को
कौन छुना नहीं चाहता , मेरे दोस्त !!
तारे तोड़ने की ईच्छा
किसे नहीं होती ॥
परन्तु , आसमान छुने पर
दंभ मत भरना , मेरे दोस्त !!
हिमालय भी दंभ भरता था
अपनी ऊँचाई का .....
न जाने कितनी बार
तोड़ा गया उसका दंभ ॥
पहाड़ के शिखरों पर रखे
पथ्थरो की बिसात ही क्या
किसी भी दिन
कुचल दिए जायेगे
सडकों के नीचे
बड़े -बड़े मशीनों द्वारा ॥
और अंत में ....
यह भी याद रखना , मेरे दोस्त
दरखतो की उपरी टहनियां
दंभ भरती थी
मगर जब , आंधी चली
उपरी टहनियां ही
टूट कर सबसे पहले ज़मीन पर आयी ॥
dambh to kisi ki nahi rahi hai,,,,,,,,,,,,,,,,very awesome creation!!
जवाब देंहटाएं"मगर जब , आंधी चली
जवाब देंहटाएंउपरी टहनियां ही
टूट कर सबसे पहले ज़मीन पर आयी"
वाह,.. बहुत खूब.