बनते -बिगड़ते
संबंधों की आपा-धापी में
मैं खो जाता हू ॥
हड़बड़ी के चक्कर में
प्रेम खोजने के बदले
नफरत खोज लेता हू ॥
रिंग पहनाने को
शादी में बदल पाता
उससे पहले तलाक खोज लेता हू ॥
इसलिए .....
मैं अब
जिंदगी के रेस में
खरगोश नहीं ,
कछुआ बन कर ही
मंजिल तक जाना चाहता हू ॥
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