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बुधवार, 23 जून 2010

मैं सब कुछ जानता हू

मुझे हसाना तो नहीं आता
मगर, रुलाना आता है ..दोस्त !

मुझे स्तुति -गान नहीं आता
मगर ,निंदा -गान आता है ...दोस्त !

मुझे तैरना नहीं आता
मगर , डुबाना आता है ....दोस्त !

मुझे धोती पहनाना नहीं आता
मगर , नंगा करना आता है ...दोस्त !

मैं गाली नहीं सुन सकता
मगर , गाली देना आता है ...दोस्त !

मुझे लिखना नहीं आता
मगर ,गलतियां निकाल लेता हू ...दोस्त !

सच में ,
मैं जानता कुछ नहीं ...मेरे दोस्त
फिर भी , सब कुछ जानता हू ॥

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