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रविवार, 27 जून 2010

मुझे क्या पड़ी है


कटने दो
जंगल
उजड़ने दो
चमन
जब सरकार की चिंता
सड़ी है
तो , मुझे क्या पड़ी है ॥

कैद कर लिया है , हमने
कोयल की कू-कू
पपीहे की पिहू -पिहू
और
कबूतर की गुटर -गू
अपने टेप -रेकॉर्डर में ॥

क्योकि ...
मैं अच्छी तरह जानता हू
मेरे बच्चे
न देख सकेगें , इन्हें ॥

सुनेगें सिर्फ कहानी
और मैं ....
अपने बच्चों को
सिर्फ कहानी नहीं
आवाज भी सुनना चाहता हू ॥

2 टिप्‍पणियां:

  1. संग्रहालय, पीएचडी और अभिलेखागार का दौर है यह.

    जवाब देंहटाएं

  2. दिनांक 18/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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