मुझे क्या पड़ी है
कटने दो
जंगल
उजड़ने दो
चमन
जब सरकार की चिंता
सड़ी है
तो , मुझे क्या पड़ी है ॥
कैद कर लिया है , हमने
कोयल की कू-कू
पपीहे की पिहू -पिहू
और
कबूतर की गुटर -गू
अपने टेप -रेकॉर्डर में ॥
क्योकि ...
मैं अच्छी तरह जानता हू
मेरे बच्चे
न देख सकेगें , इन्हें ॥
सुनेगें सिर्फ कहानी
और मैं ....
अपने बच्चों को
सिर्फ कहानी नहीं
आवाज भी सुनना चाहता हू ॥
संग्रहालय, पीएचडी और अभिलेखागार का दौर है यह.
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जवाब देंहटाएंदिनांक 18/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!